करोड़ों के घोटाले पर पर्दा? रिटायरमेंट नज़दीक, लेकिन जांच अधूरी,बिजली अफसरों की चुप्पी से बढ़ा शक

 


रिटायरमेंट की घड़ी आ गई पर जांच पूरी नहीं हुई, बिजली अफसरों ने साधी चुप्पी, कई सवाल,घोटाले में फंसे अधिकारी आराम से रिटायर हो जाएं, ऐसी तैयारी

जबलपुर। मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच अब भी पूरी नहीं हो पाई है, जबकि इस घोटाले से जुड़े प्रमुख अधिकारी चीफ़ इंजीनियर कांतिलाल वर्मा 30 नवम्बर को  रिटायर होने वाले हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूरे मामले को रिटायरमेंट के नीचे दबाने की साजिश चल रही है?
सीएम मुख्यालय से सख्त निर्देशों के बावजूद कई महीनों से जांच फाइल आगे नहीं बढ़ रही। सागर सर्कल, जबलपुर हेडक्वार्टर और संबंधित अनुभागों ने अब तक स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। आशंका जताई जा रही है कि अफसर जानबूझकर समय निकाल रहे हैं ताकि आरोपी अधिकारी निर्विघ्न रिटायर हो जाए और बाद में कार्रवाई मुश्किल हो जाए। सूत्रों के अनुसार, आरोपी अधिकारी पर फर्जी कॉलोनियों, फर्जी विद्युत पोल, गैर-अनुमोदित आपूर्ति, अवैध कनेक्शन और भुगतान में गड़बड़ी के गंभीर आरोप हैं। यह वही प्रकरण है जिसकी शिकायत सीएम हाउस तक पहुंची थी और जिस पर तत्काल जांच के आदेश भी हुए थे। लेकिन आदेशों के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई कड़ाई नहीं दिख रही।

घोटाले पर तंत्र खामोश, धीमी कार्यवाही पर कर्मचारियों में नाराजगी

कंपनी के अंदर कर्मचारियों का कहना है कि घोटाले में शामिल कई लोगों के बड़े अधिकारियों से घनिष्ठ संबंध हैं। यही कारण है कि न तो निलंबन की प्रक्रिया आगे बढ़ी और न जांच रिपोर्ट अंतिम रूप ले सकी।
कर्मचारियों का आरोप है कि इलेक्ट्रिकल डिवीजन से लेकर स्टोर शाखा तक कई स्तरों पर फर्जी खर्च और अपात्र भुगतान हुए, पर किसी अधिकारी के बयान तक दर्ज नहीं हुए। सवाल यह है कि जब मामला करोड़ों रुपये के नुकसान से जुड़ा है तो विभाग इतनी सुस्त क्यों है? लोगों का  कहना है कि अगर आरोपी रिटायर हो गया तो फाइलें हमेशा की तरह ठंडी हो जाएंगी, और सरकार को करोड़ों का नुकसान देने वाले सुरक्षित बाहर निकल जाएंगे।

क्या इस बार भी वही खेल

कई पुराने मामलों में देखा गया है कि अधिकारी अपने प्रभाव और ‘सिस्टम की ढील’ के कारण रिटायर होते ही जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इस बार भी ठीक वही पैटर्न दिख रहा है। रिटायरमेंट को अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं, लेकिन न विभागीय जांच पूरी हुई, न जवाब, न रिपोर्ट।अब बड़ा सवाल यह है कि क्या करोड़ों के घोटाले की जांच रिटायरमेंट के साथ दफ़न कर दी जाएगी या फिर शासन आरोपियों पर समय रहते कार्रवाई कर सच को सामने लाएगा। 

 गंभीर आरोप,जानबूझकर रोकी जा रहीं फाइलें

मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर स्थित पदस्थ मुख्य अभियंता कांतिलाल वर्मा पर करोड़ों रुपये के घोटाले में संलिप्त होने के गंभीर आरोप हैं, लेकिन जांच आज भी अधूरी है। श्री वर्मा पर फर्जी कॉलोनियों में अनियमित कनेक्शन देना, विद्युत पोल–लाइन निर्माण में फर्जी बिलों को पारित करना, गैर-अनुमोदित कार्यों को भुगतान कराना और विभागीय राजस्व को भारी नुकसान पहुँचाने जैसे आरोप दर्ज हैं।इन गंभीर मामलों की शिकायत सीएम हाउस तक पहुंची थी, जिसके बाद जांच के स्पष्ट निर्देश जारी हुए, लेकिन विभागीय स्तर पर अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई। माना जा रहा है कि अधिकारी की रिटायरमेंट नज़दीक होने के कारण जानबूझकर फाइलें रोकी जा रही है। 

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