जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस हिमांशु जोशी की एकलपीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि रेलवे ट्रैक तक अनधिकृत पहुंच रोकने के लिए सुरक्षा इंतजाम नहीं किए जातेए तो पटरी पार करते समय होने वाली मौतों के लिए रेलवे ही जिम्मेदार होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब रेलवे दावा अधिकरण, भोपाल के एक पुराने आदेश को खारिज किया गया। अधिकरण ने अपने फैसले में कहा था कि मृतक ट्रेन में सवार नहीं थे, इसलिए रेलवे मुआवजे के लिए जिम्मेदार नहीं है।
-तीन लोगों की मौत से जुड़ा मामला
यह मामला अप्रैल 2011 का है, जब सतना जिले के मैहर में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। तीन साल का बच्चा राजेश खेलते-खेलते रेलवे ट्रैक पर चला गया था। उसे बचाने के लिए लोली बाई और इंद्रमती नाम की दो महिलाएं भी पटरी पर पहुंच गईं। तभी तेज रफ्तार ट्रेन आ गई और तीनों उसकी चपेट में आकर मारे गए। इस हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया था। मृतकों के परिजन रामावतार प्रजापति, सलिता प्रजापति और अन्य ने रेलवे दावा अधिकरण के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि रेलवे ने ट्रैक पर सुरक्षा इंतजाम नहीं किए थे, इसलिए यह उसकी लापरवाही है।
-सुरक्षा उपाय न करना बड़ी चूक
कोर्ट ने कहा कि यदि रेलवे प्लेटफॉर्म या ट्रैक पर फेंसिंग, बैरिकेड या घोषणाओं जैसे जरूरी सुरक्षा उपाय नहीं करता, तो वह यह कहकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि मृतक ने अनधिकृत रूप से ट्रैक पार किया। यह रेलवे की लापरवाही और उसके वैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब रेलवे को मृतकों के परिजनों को मुआवजा देना होगा।
