नेताओं की बैठकों से बढ़ी चर्चाएँ
जबलपुर। लंबे समय से टलते आ रहे कैंट बोर्ड चुनाव अब फिर करीब दिखने लगे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूर्व कैंट बोर्ड मेंबरों की मुलाकात के बाद क्षेत्र में चुनावी माहौल अचानक गर्म हो गया है। महीनों से शांत चल रही कैंट राजनीति में नई जान आ गई है और स्थानीय नेता एक बार फिर सक्रिय मोड में नजर आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों से बंद पड़े दफ्तरों को फिर खोला गया है। नेताओं ने नियमित बैठकों, दौरे, जनसंपर्क और रणनीति बैठकों पर जोर देना शुरू कर दिया है। स्थानीय स्तर पर नागरिकों में भी उत्सुकता बढ़ गई है कि क्या अब वाकई चुनाव होने वाले हैं। संभावित उम्मीदवारों ने अपने-अपने इलाकों में संपर्क बढ़ा दिया है और चुनावी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
-क्या हैं मुलाकात के मायने
सूत्रों के अनुसार, पूर्व कैंट बोर्ड सदस्यों ने रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया था कि चुनाव न होने से जनता के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व सदस्यों का दावा है कि उन्हें आश्वासन मिला है कि जल्द ही कैंट बोर्ड चुनाव कराए जाएंगे। इस बयान ने कैंट क्षेत्र की राजनीति को फिर से उबाल में ला दिया है। दफ्तरों में दोबारा चहल-पहल शुरू हो गई है। कई नेता पुराने समर्थकों से संपर्क कर रहे हैं, वहीं कुछ नए चेहरे भी सक्रिय होने लगे हैं। क्षेत्र के सामाजिक संगठनों में भी बैठकों और समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है।
-कब से थमी है प्रक्रिया
उल्लेखनीय है कि कैंट बोर्ड के अंतिम चुनाव 2015 में हुए थे, जिसके बाद बोर्ड का कार्यकाल 2020 में पूरा हो गया। रक्षा मंत्रालय ने इसके बाद छह महीने की वृद्धि दी थी, लेकिन 2021 में महामारी के कारण चुनाव स्थगित हो गए। मामला इतने लंबे समय से अटका रहने से क्षेत्र में विकास कार्य भी रुक गए थे। अब रक्षा मंत्री की हालिया मुलाकात और बढ़ती हलचल इस ओर इशारा कर रही है कि कैंट बोर्ड चुनाव जल्द घोषित हो सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से लंबित विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का यही सही समय है।
