आम आदमी के बिजली बिल की 'सब्सिडी' पर संकट के बादल

 
विद्युत वितरण कंपनियांे का घाटा कम करने नई कवायद,बिजली बिल का खाका बदलने मसौदा तैयार,नोटिफिकेशन जारी, जनता से भी मांगे जा रहे सुझाव

जबलपुर। आम आदमी को भारी-भरकम बिजली बिल से राहत देने वाली राज्य सरकार की सब्सिडी पर अब संकट के बाद मंडराते नजर आ रहे है़। दरअसल, केंद्र सरकार ने एक नया मसौदा तैयार किया है,जिसमें ,मप्र सरकार को आजादी दी गई है कि वो आम आदमी पर बिल का बोझ घटाने के लिए अग्रिम सब्सिडी जारी न करे। ऐसी स्थिति में निश्चित तौर पर आम उपभोक्ता को बिजली के मोटे दाम चुकाने होंगे। सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया है और जनता से भी सुझाव मांगे हैं,लेकिन जानकार मानते हैं कि जनता के सुझाव केवल औपचारिकता मात्र ही हैं, सरकार को जो करना है वो करेगी ही। 

-ऐसा होगा नए बिल का खाका

इलेक्ट्रिसिटी  बिल में संशोधन प्रस्ताव के मुताबिकएअब बिजली बिल मूल लागत के आधार पर तय होगा। अब तक दरें पूरी तरह लागत से तय नहीं होती थी। रेलवे व मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां क्रॉस सब्सिडी के बोझ से मुक्त होंगी। उद्योगों को सस्ती बिजली मिल सकेगी। बदलाव का मकसद कर्ज के बोझ से कंगाल हो रहीं डिस्कॉम की स्थिति सुधारना है। आगे कहा गया है कि  विद्युत नियामक आयोग लागत के आधार पर ही बिजली के दाम तय करे।  विद्युत नियामक आयोग को अपने स्तर पर ही बिजली टैरिफ तय करने की आजादी दी गई है। इसमें दावा किया गया है कि इसके मायने यह होंगे कि 1 अप्रैल से प्रारंभ होने वाले हर वित्तीय वर्ष में बिजली की दरें संशोधित होंगी।

-निजी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ेगा

बिजली मामलों के जानकार शैेलेंद्र ़िद्ववेदी ने कहा कि प्रस्तावित बिल से आम आदमी के लिए बिजली महंगी होगी। टेलीकॉम की तरह यहां भी बिजली वितरण का लाइसेंस पाने वाली कंपनियां नेटवर्क साझा कर सकेंगी। इसका ज्यादा फायदा निजी कंपनियों को होगा। भविष्य में स्थितियां और बदलेंगी,जो आम आदमी के लिए बहुत आसान नहीं होंगी। 


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