ढाई दशक पुराने नियम की आड़ लेकर दैवेभो को बेरोजगार करने की तैयारी

 


जबलपुर जिले के हजारों दैवेभो की जाएगी नौकरी, भोपाल से आया फॉर्मेट,अगले साल तक लागू करने की तैयारी

जबलपुर। अब से ढाई दशक पहले साल 2000 में राज्य सरकार ने एक आदेश निकाला था कि सरकारी दफ्तरों में दैवेभो की नियुक्ति नहीं की जाएगीएलेकिन इसके बावजूद दैवेभो (दैनिक वेतनभोगी) की नियुक्तियां होती रहीं। अब एक बार फिर से इन कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटकती दिखाई दे रही है। शुरुआत की है नगरीय प्रशासन विभाग ने। यदि इस विभाग ने दैवेभो की छुट्टी कर दी तो फिर एक के बाद एक सारे विभागों में यही होगा। ऐसे में उन हजारों दैवेभो के जीवनयापन का क्या होगाए जो इतने सालों से नौकरी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि राज्य सरकार के कार्यालयों एवं सार्वजनिक उपक्रमोंए निगमोंए मंडलोंए नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों तथा सहकारी संस्थाओं में रखे दैनिक वेतन भोगी हटाए जाएंगे। इसकी शुरुआत  प्रारंभ कर दी है।

-इस फॉर्मेट में देना होगा ब्यौरा

 विभाग ने सभी नगरीय निकायों के आयुक्तों व मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा कि 28 मार्च 2000 से राज्य शासन के आदेश से लगे प्रतिबंध के बावजूद कुछ नगरीय निकायों द्वारा दैवेभो कर्मियों की नियुक्ति की हैए इसलिए 25 अक्टूबर 2025 तक सभी नगरीय निकाय एक प्रपत्र में जानकारी भेजें कि उनके यहां कितने दैवेभो कर्मी नियुक्त हैं और उनका नियुक्ति दिनांक क्या हैए वर्तमान में इन्हें कितना पारिश्रमिक मिलता हैए इन्हें नियुक्त करने वाले तत्कालीन आयुक्त.मुख्य नगरपालिका अधिकारी का नाम क्या है, दैवेभो कर्मी की नियुक्ति के लिये राज्य शासन की अनुमति मिली थी या नहीं।

-नियुक्ति करने वालों से वसूलेंगे राशि

25 साल पहले आदेश में कहा गया था कि प्रतिबंध के बावजूद बिना वित्त विभाग की सहमति के दैवेभो कर्मी नियुक्त करने पर इन्हें दिए जाने वाले पारिश्रमिक की भरपाई संबंधित नियुक्तिकर्ता के वेतन एवं भत्तों से की जाएगी। अब देखना ये है कि जब उसी प्रतिबंध आदेश का पालन किया जा रहा है तो उसके इस बिन्दु का पालन करते हुए अफसरों से रिकवरी की जाती है या नहीं। 

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