घटिया राशन प्रकरणःगोल-गोल घूम रही जांच, असली सवालों के जवाब गायब


सरकारी अफसरों की जांच तर्कों से परे, किसी पर भी एक्शन न लिए जाने की चर्चा भी सरगर्म

जबलपुर। मोतीलाल नेहरू वार्ड की दो दुकानों में घटिया राशन पहुंचने के मामले में जिला प्रशासन की जांच गोल-गोल घूम रही है,लेकिन असली सवालों के जवाब अभी भी गायब हैं। नान के प्रभारी डीएम ऋषभ जैन की अगुवाई में जो जांच हुई उसमें खुलासा हुआ कि राशन दुकान संचालक ही दोषी हैं,क्योंकि वे जून माह का खाद्यान्न सितंबर में बांट रहे थे। इस रिपोर्ट के आने के बाद राशन दुकान संचालकों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही,ये बड़ा सवाल अनुत्तरित है। दूसरा सवाल ये भी है कि जब जून से सितंबर तक राशन का वितरण नहीं हुआ तो क्या इस अवधि में अधिकारियों तक घटिया खाद्यान्न की जानकारी नहीं आई, यदि नहीं आई तो इससे अधिकारियों के कामकाज पर अंगुलियां उठना स्वाभाविक है। हालाकि, राशन दुकान संचालकों का अधिकृत बयान है कि ये अनाज उनके गोदाम में 27 सिंतबर 2025 को पहुंचा है। ये दुकान संचालक अभी भी अपने इसी बयान पर कायम हैं। 

-आखिर ये माजरा क्या है

करीब तीन दिन से ये मामला हवा में तैर रहा है,लेकिन इसके पीछे की कहानी कई शक्लों में सामने आ रही है। एक पहलू तो ये है कि अधिकारियों की लापरवाही से ही घटिया अनाज गोदाम तक पहुंच गया और अधिकारियांे ने ही उसे त्योहार बाद बदलने की बात कहकर टाल दिया। इन अधिकारियों को बेदाग बचा ले जाने की तिकड़म के तहत ही जांच को इस तरह से सुस्त कर दिया गया है। सोचने वाली बात ये भी है कि गोदामों मंे सड़ा हुआ अनाज कैसे पहुंचा, इसकी प्राथमिक जांच करना इतना मुश्किल नहीं है कि उसमें कई दिन लग जाएं। और यदि जांच हो चुकी है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। 

-अब तक ये हुआ है

इस प्रकरण में मोतीलाल नेहरू वार्ड की शासकीय राशन दुकान में दिवाली से पहले गरीबों को सड़ा और घुन वाला राशन वितरण की शिकायत आने के बाद हंगामा मचा हुआ है। राशन दुकान संचालकों के साथ पार्षद शफीक हीरा ने खाद्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आरोप.प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी बीच, जय माता दी प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी भंडार एवं समाधान प्राथमिक सहकारी भंडार का सील कर दिया गया है। 

वर्जन

अभी जारी है जांच

घटिया राशन वाले प्रकरण में सख्त कार्रवाई की जाएगी। जांच रिपोर्ट का इंतजार है। देखा जाएगा कि राशन दुकान संचालकों ने लापरवाही की या सरकारी अमले ने कोताही बरती है। 

राघवेंद्र सिंह,कलेक्टर




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