जबलपुर। मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी में पदस्थ मुख्य अभियंता कांति लाल वर्मा के भ्रष्टाचारों का पुलिंदा ईडी को पहुंचा दिया गया है। गौरतलब है कि इनके सेवाकाल में किए गए कार्यों में भ्रष्टाचार की बू रही, लेकिन उसके बाद भी इनकी जांच नहीं की गई है। इस मामले की ईडी में शिकायत की गई है। उम्मीद की जा रही है कि ईडी इनके रिटायरमेंट के पहले इनके कच्चा-चिट्ठा की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
शिकायत के मुख्य अंश
- ईको सिटी कॉलोनी एवं मेगा सिटी कॉलोनी के विद्युतीकरण स्वीकृति में भष्टाचार किया। अनुभव चतुर्वेदी की शिकायत पर सीएम जांच हुई। शिकायत में 5 करोड़ का भ्रष्टाचार सामने आया लेकिन तत्कालीन मुख्य प्रबंधक नीता राठौर ने जांच को दबा दिया और छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरा दी। बताया गया है कि वर्मा ने डेवलपर से सांठगांठ करके अनुचित लाभ दिया। 33-11केवी उपकेंद्र को गपा लिया गया, जिससे कंपनी को 5 करोड़ की क्षति पहुंचाई।
-जबलपुर लोकायुक्त टीम ने छिंदवाड़ा पदस्थ रहते हुए निवास में रेड की थी। प्रकरण भी बना था लेकिन सबमिट रिपोर्ट को निरस्त करते हुए अमान्य कर दिया था। छिंदवाड़ा जिला जबलपुर रीजन के तहत आता है। लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी उसी रीजन में पोस्टिंग दी गई।
- नौकरी में रहते हुए निजी तौर पर दो प्राइवेट कंपनी खोल दी। पहली इनेफा स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड, पूना और दूसरी एस3ए इंजीनियर्स एंड कॉन्ट्रे्क्ट प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद। इन कंपनियों की डायरेक्टर सरिता वर्मा को बनाया गया। कंपनी के नियमानुसार प्राइवेट कंपनी के लिए कोई भी अनुमति नहीं ली गई। इन कंपनियों में वर्ष 2017-18 से लगातार काम किया जा रहा है।
- छतरपुर में शिवोहम कंस्ट्र्क्शन कंपनी बिना किसी अनुमति के खोल ली गई। इस कंपनी से नियम विरूद्ध सागर रीजन में ट्र्ांसफार्मर लगा दिए गए। शिकायत पर तत्कालीन मुख्य अभियंता सतर्कता पीके क्षत्रीय ने जांच के बाद बताया कि सैकड़ों ट्र्ांसफार्मर निकाल दिए गए।
- कुछ माह पहले मुख्य अभियंता कार्यालय के सिविल रेनोवेशन के नाम पर एक करोड़ का टेंडर किया गया। टेंडर अपने चहेते ठेकेदार को दे दिया गया था। इन पर आरोप था कि ठेके पर सिर्फ रंगाई-पुताई का काम हुआ है। शेष राशि बंदरबाट कर ली गई।