जबलपुर. एमपी के जबलपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर सिहोरा में एक अनोखा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। यहां लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के आव्हान पर सैकड़ों लोगों ने अपने खून से दीपक जलाकर (दीयों में खून डालकर) सिहोरा को जिला बनाने की मांग उठाई। सिहोरा वासियों का कहना है कि जब तक हमारी मांग मानी नहीं जाती, तब तक इसी तरह से प्रदर्शन चलता रहेगा।सिहोरा को जिला बनाने की कई सालों से मांग चली आ रही है। 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिला बनाए जाने को लेकर सहमति दी थी, पर इसके तुरंत बाद चुनावी आचार संहिता लग गई और फिर प्रदेश में भाजपा सरकार आ गई। आंदोलनकारियों ने बताया कि इन दीयों में केवल तेल और बाती नहीं, बल्कि सिहोरा की पीड़ा और वर्षों की अनदेखी की आग जल रही है। यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं बल्कि सिहोरा के प्रति त्याग, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। समिति के सदस्यों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि खून के दीये जलाना सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह है। जो सरकार स्वयं को जनता की बताती है, उसे यह समझना होगा कि आखिर सिहोरा वासियों को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा।
भूमि समाधि सत्याग्रह करेंगे
आंदोलनकारी अनिल जैन ने बताया कि 26 अक्टूबर को समिति के सदस्य भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन करेंगे। यदि इसके बाद भी सरकार सिहोरा जिला गठन की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो आंदोलन अलोकतांत्रिक मार्ग पर जाने को बाध्य होगा। प्रदर्शनकारियों ने मोहन सरकार वादा निभाओ के नारे भी लगाए। आंदोलन समिति के लोग 2003 से लगातार संघर्ष कर रहे हैं और सिहोरा को जिला बनाने की मांग करते आ रहे हैं। हाल ही में एक बार दिग्विजय सिंह ने जब सिहोरा का दौरा किया था, तब उन्होंने आश्वस्त किया था कि अगर 2023 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो निश्चित रूप से सिहोरा को जिला बनाया जाएगा। इधर विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जब भाजपा के पक्ष में समर्थन करने आई थी, उस दौरान वादा किया था कि अगर सिहोरा विधानसभा से भाजपा की जाती होती है, तो निश्चित रूप से मांग पूरी होगी।