निजीकरण की दस्तक तेजः सरकार का दावा, उपभोक्ता को लाभ होगा, जानकार बोले,सरकार का ये प्रयोग जनहितकारी नहीं
जबलपुर। ठीक मोबाइल सिम की तरह अब कई निजी कंपनियां एक ही कॉलोनी, मोहल्ले या ‘ाहर में बिजली बेंचने के लिए अधिकृत होंगी। दरअसल, केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में महत्वपर्ण संशोधन करने जा रही है। इसके लिए मप्र सहित सभी राज्यों और निजी क्षेत्र के संगठनों से 30 दिन में आपत्तियां और सझाव मांगे गए हैं। केंद्र सरकार ने करीब दो दशक बाद विद्यत अधिनियम 2003 में कर्ड संशोधन प्रस्तावित किए हैं। सरकार का दावा है कि डससे बिजली सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढे़गी और सस्ती बिजली मिलेगी,लेकिन जानकारों का दावा है कि उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलने की बात केवल एक भ्रम है।
-ये फायदे का गणित
नया इंतजाम लागू होने के बाद बिजली उपभोक्ता के पास अलग- अलग चॉइस होगी। हर निजी कंपनी के बिजली रेट में अंतर होगा। अब निजी कंपनी ही रीडिंग, बिलिंग और वसूली करेगी। रेट में अंतर होने से उपभोक्ता कम रेट वाली कंपनी से बिजली खरीदने स्वतंत्र होगा।
-हो सकते हैं ये नुकसान
अब तक बिजली सेक्टर पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में है, अब प्राइवेट कंपनियों का दखल बढ जाएगा। बाद में यदि प्राडवेट कंपनियां बिजली महंगी करती हैं. तो लोगों के पास विकल्प सीमित होंगे। विद्यत वितरण कंपनियों में काम करने वाले एक लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक जाएगा।
-इलैक्ट्सििटी एक्ट में बदलाव
विद्युत अधिनियम 2003 में केंद्र सरकार सबसे अहम बदलाव करने जा रही है। ताजा संशोधन में ये दर्ज होगा कि बिजली वितरण के क्षेत्र में केवल सरकारी आधिपत्य नहीं होगा, निजी क्षेत्र की कंपनियां भी बिजली वितरण कर सकेंगी। निजी कंपनियां अपनी तरफ से किसी भी तरह का स्ट्क्चर खड़ा नहीं करेंगी,बल्कि सरकारी ढांचे से ही बिजली वितरण करेंगी। इसके एवज में वे सरकार को रकम का भुगतान करेंगी। निजी कंपनियों के लिए ये बाध्यता होगी कि वो केंद्र सरकार के उर्जा नवीकरणीय के मापदंडों का पालन करना होगा।
-ये तीसरा प्रयास है
केंद्र सरकार द्वारा संशोधन का प्रस्ताव तीसरी बार लाया जा रहा है। इससे पहले अधिनियम में संशोधन के लिए दो कोशिशें की जा चुकी हैं,लेकिन उस वक्त किसान आंदोलन के कारण इसे वापिस लिया जा रहा है। इस संबंध मंे मप्र की सरकार के साथ बैठकों का दौर जारी है,लेकिन बिजली कंपनियों के अधिकारी इस बारे में कोई बात करने को तैयार नहीं है।
-ये प्रयोग उपभोक्ता के हित में नहीं
सरकार इस संशोधन के माध्यम से निजी कंपनियों को बिजली सेक्टर में प्रवेश देना चाहती है। दावा किया जा रहा है कि इससे उपभोक्ता को लाभ होगा,लेकिन भविष्य में ये कंपनियां बिजली महंगी करेंगी और तब सरकार कुछ नहीं कर सकेगी। सरकार को ऐसे प्रयोग करने से बचना चाहिए। बहुत संभव है कि सरकारी कंपनियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए और पूरा बिजली वितरण तंत्र निजी हाथों में चला जाए। वितरण कंपनियों के कर्मचारियों के भविष्य पर भी सरकार को विचार करना चाहिए।
राजेंद्र अग्रवाल, बिजली मामलों के जानकार
