जबलपुर। आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ने गुरूवार को सेठ गोविंददास जिला चिकित्सालय विक्टोरिया अस्पताल का रिकार्ड रूम खंगाल डाला। ईओडब्ल्यू टीम ने रिकार्ड रूम से ढेरों फाइलों जब्त की है। ये फाइलें 2022 के बाद तीन सालों की बताई जा रही हैए जिसमें अस्पताल में खरीद.फरोख्त संबंधी दस्तावेज हैं।ईओडब्ल्यू टीम के मुताबिक अस्पताल में दवा की खरीद.फरोख्त की गई अनियमितताओं के खिलाफ शिकायतें पहुंची थी। इन शिकायतों पर छानबीन की जा रही थी। इसके तहत ईओडब्ल्यू ने कई बार विक्टोरिया अस्पताल प्रबंधन को रिकार्ड उपलब्घ कराने के लिए पत्र लिखे थेए लेकिन अस्पताल प्रबंधन के टालमटोल रवैए की वजह से रिकार्ड मिल नहीं पा रहा था। इससे शिकायतों की छानबीन में परेशानी आ रही थी।
-ये रहा मामला
जानकारी के मुताबिक 2022 से 2025 के बीच लोकायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग को 17 बार पत्र लिखा था। पत्रों का विभाग ने ना तो जवाब दिया और ना ही दस्तावेज दिए। जिसके बाद गुरूवार को सिविल सर्जनसिविल सर्जन डॉ नवीन कोठारी की मौजूदगी में लोकायुक्त टीम ने यह कार्रवाई की गई। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के कई बड़े अधिकारी इस जांच में आ सकते हैं।
-फर्जी डिग्री के मामले की बू
विक्टोरिया अस्पताल में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने की शिकायत को लेकर ये कार्रवाई बताई जा रही है। ये मुद्दा विधानसभा के मानसून सत्र में भी उठा था। जबलपुर के कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने आरोप लगाया था कि अस्पताल के एक अधिकारी की शैक्षणिक योग्यता फर्जी है। हालांकि सरकार ने इससे इनकार किया था।
-फर्जी भुगतान की आशंका
यह कार्रवाई मेडिकल रिएंबर्समेंटए निर्माण एवं मरम्मत कार्यों से जुड़े बिलों में आर्थिक अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर की गई। एसपी ईओडब्ल्यू अनिल विश्वकर्मा के निर्देश पर टीआई भुवनेश्वरी चौहान स्तर के अधिकारी और उनकी टीम ने सुबह अचानक कार्यालय में पहुंचकर दस्तावेजों की जांच शुरू की थी। टीम ने अस्पताल प्रबंधन से कई रजिस्टरए भुगतान संबंधी फाइलें और बिल वाउचर जब्त किए हैं। बताया जा रहा है कि इन बिलों में लाखों रुपये के फर्जी भुगतान और हेराफेरी के संकेत मिले हैं। जांच में कुछ ऐसे ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के नाम सामने आए हैंए जिनके माध्यम से निर्माण और मरम्मत कार्यों के भुगतान किए गए थेए जबकि वास्तविक कार्य संदिग्ध पाए जा रहे हैं।
