आयुष्मान से बाहर हो जाएंगे जबलपुर के दर्जनों हॉस्पिटल, संचालकों में हड़कंप

 जबलपुर। जबलपुर जिले के दर्जनों हॉस्पिटल संचालकों के लिए बुरी खबर है। जिसका कारण है नियम में एक बदलाव। सरकार ने आदेश जारी किया है कि 1 अप्रैल 2026 से योजना में केवल वही अस्पताल शामिल रहेंगे, जिनके पास एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स) का फाइनल लेवल क्वालिटी सर्टिफिकेट होगा। जबलपुर में बिना एनएबीएच प्रमाण पत्र के हॉस्पिटल अब तक आराम से संचालित हो रहे हैं।  जबलपुर में 23 सरकारी और 144 प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान से संबंद्ध हैं, लेकिन इसमें से 55 ही एनएबीएच सर्टिफाइड हैं। यदि इन अस्पतालों ने सर्टिफिकेट नहीं लिया तो इनकी संबद्धता खत्म हो जाएगी। उधर, अस्पताल संचालकों का कहना है कि 90' अस्पताल इस मानक को पूरा नहीं कर पाएंगे। आयुष्मान कार्डधारक बुखार, डेंगू, टायफाइड, छाती-पेट की बीमारियां और छोटी-मोटी सर्जरी में कार्ड की सेवाएं लेते हैं। वे सीधे इलाज से वंचित हो जाएंगे।

-सामान्य इलाज से कतराते हैं बड़े अस्पताल
जिले में गिने-चुने ही अस्पताल एनएबीएच फाइनल लेवल प्रमाणित हैं। इन अस्पतालों में से जो आयुष्मान संबद्ध हैं, वे सामान्य बीमारियों का इलाज करने से अक्सर कतराते हैं। मरीज भी बहुत बड़े अस्पतालों में छोटी बीमारियों का इलाज कराने नहीं पहुुंचते। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह फैसला मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। मानक पूरे करना मरीज के सही इलाज के लिए आवश्यक है।
-शिकायतों के बाद कड़ा फैसला
एनएबीएच को लेकर सरकार का रुख सख्त इसलिए भी है, क्योंकि कई अस्पतालों के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही थीं। कई जगह जितने बेड के लिए मान्यता मिली, उतने बेड वास्तविकता में मौजूद ही नहीं थे। निरीक्षण के दौरान इन शिकायतों की पुष्टि भी हुई।
-क्या है एएनबीएच सर्टिफिकेट
एनएबीएच को अस्पतालों का सर्वोच्च ग्रेड माना जाता है। इसकी जांच 600 से अधिक मानकों पर होती है। आईसीयू, ओटी, एनआईसीयू, डायलिसिस यूनिट्स, संक्रमण नियंत्रण की जांच भी की जाती है।  पर्याप्त जगह, वेंटिलेशन, हाईजीन, इमरजेंसी, ब्लड बैंक, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी,योग्य डॉक्टर, प्रशिक्षित नर्सें, क्वालिटी मैनेजर, इंफेक्शन कंट्रोल ऑफिसर का ब्यौरा जांचा जाता है। 

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