जबलपुर। उच्च शिक्षा विभाग ने जिन अतिथि विद्वानों को कॉलेजों से बाहर का रास्ता दिखा दिया था,अब उन्हें फिर से वापिस बुलाने की कवायद शुरु की गयी है। विभाग ने पहले सोचा था कि उसे अतिथियों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी,बल्कि नियमित स्टाफ से काम कराएंगे,लेकिन ऐसा हो नहीं सका। गौर करने वाली बात यह है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत हुए ढाई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी कई कॉलेजों में शिक्षकों के पद खाली हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा है।
-पुराना शेड्यूल निरस्त, नया जारी
सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक बार फिर फॉलन आउट अतिथि विद्वानों को मौका देने का फैसला लिया है। विभाग ने 1 एक संशोधित समय-सारणी जारी कर दी है, जिसके तहत अब 8 अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच अतिथि विद्वान कॉलेजों में कार्यभार ग्रहण कर सकेंगे। उच्च शिक्षा विभाग ने 2 सितंबर को जो शेड्यूल जारी किया था, उसे निरस्त कर अब नया कैलेंडर जारी किया है। इसके तहत 27 से 30 सितम्बर 2025 तक महाविद्यालयों को रिक्त पदों का अवलोकन एवं संशोधन कर सकेंगे। 27 सितम्बर से 01 अक्टूबर तक फॉलन आउट आवेदकों को अर्हता अद्यतन करने व सत्यापन का मौका दिया जाएगा। 2 से 07 अक्टूबर 2025 तक सत्यापित फॉलन आउट आवेदकों को विकल्प भरने का अवसर दिया जाएगा। आवंटन के साथ 8 से 11 अक्टूबर तक कार्यभार ग्रहण का अवसर और पोर्टल पर ज्वाइनिंग दर्ज करने होगी।
-2023 वाले बेरोजगारों को मौका नहीं...
साल 2023 में कई योग्य युवा
अतिथि विद्वान बनने के लिए विभाग में रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। इन उम्मीदवारों को अभी तक चॉइस भरने का मौका ही नहीं दिया गया है। न ही उनके सत्यापन की प्रक्रिया को दोबारा खोला गया, जिससे हजारों बेरोजगार युवा असमंजस में हैं। वहीं कॉलेजों में कई विषयों के लिए नियमित और अतिथि शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पूरा सिस्टम पटरी से उतरा हुआ है। विभाग के अधिकारी खुद ही भ्रम जैसी स्थिति में है। इससे बच्चों की पढ़ाई का जो बंटाढार हो रहा है,उसका जिम्मेदार कौन होगा, ये बड़ा सवाल है।