धान घोटाले में ईओडब्ल्यू की एंट्री के बाद मचा हड़कंप,बड़े अफसरों पर भी जल्दी कसेगा शिकंजा जबलपुर। धान घोटाले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की एंट्री ने जबलपुर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा दिया है। ईओडब्ल्यू का मानना है कि जिस ढंग से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है, उससे तय है कि इस खेल में भोपाल में बैठे बड़े अफसर भी बराबर शरीक है। बहुत संभव है कि ये खेल पूरे प्रदेश में एक साथ खेला जा रहा हो। हाल ही धान घोटाले के आरोपित मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के सेवानिवृत्त प्रबंधक दिलीप किरार (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और पद के दुरुपयोग के तहत एफआईआर दर्ज की है। प्रकरण में धान परिवहन की ठेका कंपनी के शैलेष उर्फ कन्हैया तिवारी को भी आरोपित बनाया गया है। ये गोलमाल 42 लाख 7 हजार 6 सौ 38 रुपए का है।
-अधिक एसओआर में लिया कांट्रैक्ट
-सरकार को नुकसान, ठेकदार का फायदा
ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन प्रबंधक किरार ने निजी एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए पास के रैक प्वाइंट को छोड़कर दूर स्थित रैक प्वाइंट तक खाद्यान्न पहुंचाने के आदेश दिए। ऐसे नौ परिवहन आदेशों में गोदामों से खाद्यान्न गोसलपुर रैक प्वाइंट भेजा गया, जबकि ये गोदाम कछपुरा रैक प्वाइंट के पास ही थे। इस कारण परिवहन की लागत बढ़ी और एजेंसी को अधिक भुगतान हुआ। इससे तत्कालीन प्रबंधक किरार और जेएसआर एजेंसी के प्रोपाइटर कन्हैया तिवारी की मिलीभगत सामने आई।
-पहले से दागी है किरार उल्लेखनीय है कि किरार पर जबलपुर में प्रबंधक रहते हुए भी उपज की खरीद एवं परिवहन में भ्रष्टाचार के आरोप हैं। तत्कालीन कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर किरार के साथ विभाग के 13 कर्मचारियों, 17 राइस मिल संचालकों, 25 सहकारी समितियों और धान खरीदी केंद्रों के 44 कर्मचारियों के खिलाफ जिले के अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज की गई थी।