संगठन को एक बार फिर दिग्गजों ने किया नजरअंदाज, राहुल गांधी के अभियान से भी बनाई दूरी,पार्टी ने भी ओढ़ी खामोशी
जबलपुर। देश के सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अपनी गुटबाजी से उबरती दिखाई नहीं दे रही। असंख्य धड़ों में बंटे कांग्रेसी तब भी अपनी जिद नहीं छोड़ते,जब मामला सीधे राहुल गांधी से जुड़ा हो या पार्टी के सबसे बड़े मुद्दे से। गुरुवार को जबलपुर के मालवीय चौक में शहर कांग्रेस ने वोट चोर...गद्दी छोड़ को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस अभियान से जबलपुर जिले के वे दिग्गज कांग्रेसी नेता एकदम गायब रहे,जिनके कारण जबलपुर में कांग्रेस का वजूद शेष है। बड़े चेहरों की गैरमौजूदगी से अंदर ही अंदर चर्चाओं का दौर तो शुरु हो गया है,लेकिन खुलकर बोलने में अभी भी सब पीछे हट रहे हैं। एक तरफ राहुल गांधी संगठन को नए सृजन की ओर ले जा रहे हैं तो वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता खुलकर बगावत पर आमादा है।
-संगठन से बड़े कांग्रेस के चेहरे
ये किसी से छिपा हुआ नहीं है कि जब से सौरव शर्मा को अध्यक्ष बनाया गया है,तब से नेताओं का एक बड़ा वर्ग खुद को शहर कांगे्रस से खुद को अलग-थलग साबित करने में जुटा रहता है। ये समूह विविध कार्यक्रम भी आयोजित करता है तो उसमें शहर कांग्रेस का नामोनिशान बहुत खास नहीं रहता। वरना कायदे से प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के लिए संगठन और उसके पदाधिकारी सर्वोपरि न सही, लेकिन अहम तो होना ही चाहिए। पहले भी कई बार इस तरह की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं, जब संगठन को दरकिनार नेताओं ने अभियान,आंदोलन चलाए।
-क्या पार्टी कुछ नहीं करेगी
वोट चोर...गद्दी छोड...अभियान राहुल गांधी पूरे देश में चला रहे हैं। कांग्रेस पार्टी पूरे जी-जान से हर स्तर पर इसे जनता के बीच ले जाने की कोशिश कर रही है,ऐसे में कांग्रेस के दिग्गजों का इस अभियान से दूरी बनाने पर क्या पार्टी किसी तरह की कार्रवाई करेगी। कार्रवाई न होने से उन कार्यकर्ताओं के दिलों पर क्या बीतेगी,जो सब कुछ भुलाकर पार्टी के आदेश का पालन करते हैं। या वास्तव में ये मान लिया जाए कि संगठन गौण हैं और बड़े नेता उससे ऊपर। हालाकि,कांग्रेसी अब इन सब बातों के इस कदर आदी हो चुके हैं कि उन्हें ये महसूस भी नहीं होता कि संगठन के साथ ऐसा व्यवहार अनुशासनहीनता की श्रेणी में दर्ज किया जाता है।