बताया गया है कि तहसीलदार ने 10 दिन पहले 16 अक्टूबर को गार्डन खाली करने का नोटिस चस्पा कर दिया था। जिसमें अशोक सिंह के परिवार के 12 सदस्यों के नाम शामिल थे। तहसीलदार ने गार्डन संचालकों को 7 दिन के अंदर गार्डन खाली करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने 9 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा था कि बालाजी गार्डन की जमीन सरकारी है। न्यायालय में अपीलकर्ताओं द्वारा यह साबित नहीं किया जा सका था कि जमीन उनके मालिकाना हक की है। उन्होंने भू-राजस्व संहिता लागू होने से पहले का कोई ऐसा रिकॉर्ड भी पेश नहीं किया था, जिससे यह सिद्ध हो सके कि जमीन उनके नाम पर थी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि केवल नामांतरण होने से जमीन का मालिकाना हक प्राप्त नहीं हो जाता है। शासन का दावा है कि बालाजी गार्डन सरकारी भूमि पर बनाया गया था। इस कार्रवाई के विरोध में कई कांग्रेसी नेता मौके पर पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और जान-बूझकर रात को की गई ताकि आज कोर्ट में अपील न की जा सके।
नवंबर में बालाजी गार्डन में थी शादियों की बुकिंग-
नवंबर-दिसंबर में बालाजी गार्डन में शादी के लिए लोगों की पूर्व से बुकिंग थी। जिन लोगों की शादियां गार्डन से होनी थीं उन्हें अब नई जगह तलाशनी पड़ रही है। गार्डन में साज सज्जा का काफी सामान लगा हुआ है। पक्का निर्माण भी है। यदि गार्डन खाली नहीं करते हैं तो प्रशासन कार्रवाई शुरू कर देगा।