विद्युत वितरण कंपनी की लापरवाही, करोड़ों खर्च फिर भी जनता के हिस्से में अंधेरे का रोना, पुराने कंडक्टर नहीं झेल सके लोड
जबलपुर। एक बेहतरीन योजना तैयार की गयी थी कि गोराबाजार के विनोवा भावे सब-स्टेशन को अन्य सब स्टेशनों से इस तरह से जोड़ा जाएगा कि जब भी बिजली आपूर्ति बाधित होगी, वैसे ही दूसरे सब-स्टेशन से सप्लाई शुरु हो जाएगी। इस सिस्टम को नाम दिया गया था,रिंग मैन सप्लाई सिस्टम। पावर ट्रांसमिशन कंपनी (ट्रांस्को) ने तकनीकी रूप से विनोवा भावे सब-स्टेशन एवं गोरा बाजार सब-स्टेशन को पूरी तरह से अपडेट कर दिया,लेकिन पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अमले ने तारों को बदलने में हठधर्मिता दिखाई और करोड़ों खर्च होने के बाद भी अंधेरा होने पर ये सब-स्टेशन एक-दूसरे के काम नहीं आ सके। बीते सप्ताह बिजली आपूर्ति ठप होने पर जब इस सिस्टम की पहली आजमाइश हुई तो ये काम नहीं कर सका। अब इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं,लेकिन डिस्कॉम यानी वितरण कंपनी के अधिकारी होंठ सिले बैठे हुए हैं।
-नए सिस्टम से ऐसी उम्मीद थी
नए सिस्टम के माध्यम से वीआईपी क्षेत्रों सहित करीब तीन लाख की आबादी को निर्बाध बिजली देने का लक्ष्य रखा गया था। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने 33 केवी फीडरों के समय पर अपग्रेडेशन नहीं किया।ट्रांसमिशन कंपनी ने करोड़ों रुपए की लागत से 220 केवी गोरा बाजार सब-स्टेशन का निर्माण कराया था। वर्ष 2010 में ही वितरण कंपनी ने इस सब-स्टेशन की आवश्यकता जताते हुए कहा था कि इसके माध्यम से विनोबा भावे सब-स्टेशन को बैक-अप सप्लाई दी जा सकेगी, जिससे किसी भी आकस्मिक परिस्थिति में शहर के प्रमुख क्षेत्रों को निरंतर बिजली आपूर्ति मिलती रहेगी,लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो सका।
-इसलिए चरमरा गया पूरा सिस्टम
वितरण कंपनी ने गोरा बाजार-1 और गोरा बाजार-2 फीडरों के कंडक्टरों को मजबूत बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। नतीजा यह हुआ कि जैसे ही 132 केवी विनोबा भावे सब-स्टेशन को नया गांव से मिलने वाली सप्लाई डबल सर्किट निर्माण कार्य के चलते बंद की गई, पूरा सिस्टम चरमरा गया। गोरा बाजार सब-स्टेशन में बिजली की उपलब्धता तो पर्याप्त रही, लेकिन कमजोर फीडर लोड झेल नहीं पाए। लगातार कंडक्टर टूटने लगे और शहर के कई इलाकों को घंटों बिजली संकट झेलना पड़ा।