जबलपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने करीब 9 लाख रूपयों का गबन किया है। इसका खुलासा महालेखाकार ऑडिट से हुआ। इसमें यह सामने आया था कि जबलपुर में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में जन्मजात बहरे दिव्यांग बच्चों में सुनने की क्षमता विकसित करने के लिए उनकी कॉकलियर इंप्लांट ऑप्रेशन के बाद की जाने वाली थेरेपी करवाए बिना ही संस्था को भुगतान किया गया था।
डीईआईएम के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ शिवसेना प्रेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र बारी ने अदालत में याचिका दायर की थी। शासकीय अधिवक्ता ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि सक्षम प्राधिकारी ने पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है और की गई कार्यवाही का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया जाये। इसके उपरांत मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ सलोनी सिडाना ने मामले की जांच पहले संभाग स्तरीय जांच दल से एवं बाद में राज्य स्तरीय दल से करवाई । इन दोनों जांचों में सुभाष शुक्ला दोषी सिद्ध हुए।
महालेखाकार अंकेक्षण द्वारा 2019 में दी गई रिपोर्ट आपत्ति को नजरअंदाज कर अपने पदीय उत्तरदायित्व का निर्वहन न करते हुये बिना परीक्षण के शुक्ला ने भुगतान हेतु नस्ती अग्रेषित की। भुगतान की नस्ती में तत्कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक द्वारा की गई आपत्ति का निराकरण किये बिना 8.96 लाख का अनियमित भुगतान कराया गया। मनोज कुमार सरियाम आईएएस अपर मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल ने 24 सितंबर को सुभाष शुक्ला को दोषी मानते हुये 8.96 लाख रुपये रिकवरी की कार्यवाही के आदेश जारी किये गये। 21 दिन की समयसीमा में 8ण्96 लाख रुपए सरकारी खाते में जमा नहीं करने पर एफआईआर दर्ज कर सेवा से बर्खास्तगी की कार्यवाही की जाएगी। इसके अतिरिक्त सख्त कार्यवाही करते हुए मिशन संचालक द्वारा हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल करने की सूचना हेतु शुक्ला को पत्र भी जारी कर दिया।
