इलाज हो रहा या तमाशा...35 की जगह 100 बच्चे किए जा रहे भर्ती

 



मेडिकल के नर्सरी वार्ड के बुरे हाल, हादसे की वजह ने बन जाए ये मजबूरी,नया ब्लॉक बन गया पर संसाधन जुटाने में सिस्टम नाकाम  

जबलपुर। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के नर्सरी वार्ड की हालत होश उड़ा देने वाली है। यहां केवल 35 बच्चों के बेहतर इलाज के ही इंतजाम हैं,लेकिन वार्ड में एक वक्त में सौ से ज्यादा बच्चे इलाज पा रहे हैं। ये विवशता है,लेकिन ये मजबूरी किसी बड़े हादसे का कारण भी बन सकता है।  यह स्थिति तब है, जब स्वास्थ्य सेवाओं में मेडिकल प्रशासन बेहतर होने का दावा कर रहा है।लेकिन,हकीकत रोंगटे खड़े कर देने वाली है। 

-कागजों में दफन विस्तार योजना

 मेडिकल के पुराने ब्लॉक में नर्सरी वार्ड में बेड की संख्या सीमित होने पर नए ब्लॉक में भी इसके विस्तार की योजना पर काम जारी है, लेकिन संसाधनों की कमी की आड़ लेकर इसे कागजों में ही दफन कर दिया गया है। नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए वर्तमान में 14 डॉक्टर व लगभग छह नर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि पूर्व में क्षमता 48 के आसपास थी। यदि न्यू ब्लॉक का वार्ड आरंभ हो जाता है तो बिस्तरों की संख्या में 35 का इजाफा होन जाएगा यानी तादाद कुल 70 हो जाएगी। 

-इन बीमारियों का होता है इलाज

नर्सरी वार्ड में समय से पहले जन्म, संक्रमण, जन्मजात हृदय रोग, नवजात पीलिया, श्वसन संक्रमण, जन्म के समय श्वास अवरोध आदि से पीड़ित शिशु चिकित्सकों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।  एनएससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए पृथक से वार्ड तो बना दिया गया, लेकिन बेड की संख्या सीमित होने के कारण क्षमता से अधिक शिशुओं को देखभाल के लिए रखा जा रहा है। सामान्यत: बाल रोग विभाग के अंतर्गत यह इकाई संचालित है। यह इकाई विशेष रूप से बीमार या समय से पहले जन्मे शिशुओं को चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रही है। साथ ही श्वसन संक्रमण से ग्रसित शिशु भी इसमें भर्ती हैं।

-नए ब्लॉक को शुरु करना प्राथमिकता

मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ.अरविंद शर्मा ने कहा कि न्यू ब्लॉक में नर्सरी वार्ड का विस्तार हमारी पहली प्राथमिकता है। उम्मीद है जल्द ही इसे आरंभ कर देंगे। एसी के साथ ऑक्सीजन व एयर लाइन का काम शेष है। यह बात भी सही है कि पुराने ब्लॉक का नर्सरी वार्ड पर ओवरलोड है। 

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