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शिक्षा विभाग ने करप्शन का नया कीर्तिमान गढ़ा, भेड़ाघाट के शिक्षक सदन को निजी हाथों में सौंपा, शिकायत की जॉच में हुए खुलासे
जबलपुर। शिक्षा विभाग के अंतर्गत भेड़ाघाट में बना 21 कमरों वाला शिक्षक सदन मात्र पांच हजार रुपये प्रतिमाह के किराए पर निजी हाथों को दे दिया गया है। संभागायुक्त कार्यालय में की गई शिकायत की जांच में कई खुलासे हुए हैं।जिसके बाद संभागायुक्त ने तत्कालीन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण का एक इंक्रीमेंट रोक दिया है। इस आदेश में न तो यह बताया गया कि अब शिक्षक सदन का क्या होगा और न ही इस बात का उल्लेख है कि इस मामले में यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो उस पर क्या किया जा रहा है।
-कौन नियम तोड़े गए
वर्ष 2024 में तत्कालीन संभागायुक्त अभय कुमार वर्मा को संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर संभाग प्राचीश जैन द्वारा पत्र भेजा गया था जिसमें उल्लेख किया गया था कि भेड़ाघाट स्थित शिक्षक सदन को बिना किसी सरकारी अनुमति के ही निजी हाथों में सौंप दिया गया है। शिक्षक सदन सन 1990 में बना था और 2020 में कोविड के कारण पर्यटन बंद होने से सदन की आय बंद हो गई थी। प्राचार्य भेड़ाघाट स्कूल ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया और उसकी मरम्मत की बात की गई। इसके बाद कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग को भी मरम्मत में होने वाले खर्च की जानकारी देने कहा गया और इसकी जानकारी संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ डीके खरे को सहायक संचालक या तत्कालीन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण को अवगत कराएं। इसके बाद पता चला कि शिक्षक सदन को कचनार सिटी निवासी वीरेन्द्र पटेल को 10 वर्षों के लिए दे दिया गया है। इसमें प्रथम वर्ष का 5 हजार रुपए प्रतिमाह, दूसरे वर्ष का किराया 7500 रुपए प्रतिमाह और तीसरे वर्ष का किराया 12 हजार रुपए प्रतिमाह तय किया गया। किराए पर देने के समय तत्कालीन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण डाॅ. रामकुमार स्वर्णकार शाखा प्रभारी अधिकारी डीके खरे सहायक संचालक तथा अर्जुन सोनकर प्रभारी लिपिक के रूप में कार्यरत थे। इन्होंने कोई अनुमति नहीं ली इसलिए इन सभी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
-इस मामले में भोपाल में क्या हुआ
यह मामला भोपाल पहुंचा और आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के उप-सचिव मंजूषा विक्रांत राय ने उल्लेख किया कि लोक शिक्षण जबलपुर संभाग वर्तमान में प्राचार्य शासकीय प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान भोपाल के पद पर पदस्थ रहते हुए शिक्षक सदन भेड़ाघाट की शासकीय सम्पत्ति को किराये से देने हेतु स्वयं के द्वारा शर्तें निर्धारित कर जीर्णोद्धार एवं किराये की राशि तय करते हुए सक्षम स्वीकृति के बगैर शिक्षक सदन परिसर को वीरेन्द्र पटेल को संचालन हेतु सौंप दिया गया जो गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। स्वर्णकार द्वारा वरिष्ठ कार्यालय से दिये गये निर्देशों की अवहेलना कर, शासकीय कार्य में लापरवाही बरती गई, जिसके लिये श्री स्वर्णकार प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये। श्री स्वर्णकार का उक्त कृत्य अपने पदीय दायित्वों के विपरीत आपकी स्वैच्छाचारिता एवं कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। उक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-3 के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है। अत: इनकी एक वेतनवृद्धि तत्काल प्रभाव से रोकी जाती है।