OBC आरक्षण, अब SC में 8 अक्टूबर से होगी रोजाना सुनवाई,सामान्य वर्ग के वकीलों ने समय मांगा, जज बोले, हम तैयार हैं, आप नहीं

 

भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में आज (24 सितंबर) से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू होनी थी। अब ये 8 अक्टूबर से होगी। दरअसल आज सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और मध्यप्रदेश सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर लागू अंतरिम स्टे हटाने की मांग की।

                         इस पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की ओर से वकील पूजा धर और लेखी ने दलील दी कि उन्हें मप्र सरकार की ओर से ;23 सितंबर को ही 15 हजार पेज के दस्तावेज सौंपे गए हैं। इन दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 8 अक्टूबर की तारीख तय कर दी है। साथ ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हम तैयार हैं, आप नहीं। सूत्रों के अनुसार 15 हजार से ज्यादा पन्नों में एमपी सरकार ने ओबीसी वर्ग को अतिरिक्त आरक्षण देने के पक्ष में असाधारण परिस्थितियों का जिक्र किया है। इसमें प्रदेश में ओबीसी की सामाजिक और प्रशासनिक भागीदारी को लेकर डेटा और अलग-अलग रिपोर्ट शामिल हैं। हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इंदिरा साहनी केस का हवाला देते हुए स्पष्ट कर चुका है कि अगर 50प्रतिशत आरक्षण की सीमा से ज्यादा आरक्षण देना है तो इसके लिए असाधारण परिस्थितियों को सिद्ध करना जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप मामले में गंभीर नहीं

सुप्रीम कोर्ट में अनारक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स के वकील ने कहा कि 15 हजार पन्नों की रिपोर्ट हमें कल रात को मिली है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि हम मामले को लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन आप लोग तैयार नहीं हैं। आप लगातार अंतरिम राहत की मांग कर रहे हैं, लेकिन हम स्थिति साफ कर चुके हैं। सभी रुके हुए हैं और कोई भी आगे बढ़कर पहल करने के लिए तैयार नहीं है। आप इस मामले में गंभीर नहीं हैं। कौन किसकी ओर से वरिष्ठ वकील है देखिए। बहस के लिए कोई तैयार नहीं है। वहीं ओबीसी वेलफेयर कमेटी ने फिर से एक्ट पास होने की बात कही।

छत्तीसगढ़ का मामला अलग करने की मांग-

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से छत्तीसगढ़ प्रदेश के ओबीसी आरक्षण केस को मध्यप्रदेश के केस से अलग करने की मांग रखी।

मामला प्रथम दृष्टया मानकर अगली सुनवाई तय-

ओबीसी समाज की ओर से वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने कोर्ट से निवेदन किया कि यह मामला प्रथम दृष्टया है, इसलिए इस पर अंतरिम आदेश पारित किया जाए। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए 8 अक्टूबर को इसे टॉप ऑफ द बोर्ड पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। सुनवाई के बाद ओबीसी महासभा ने बयान जारी करते हुए कहा आज की सुनवाई समाज के संवैधानिक अधिकारों और 27 प्रतिशत आरक्षण बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम है। महासभा समाज के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्षरत रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केस को टॉप ऑफ द बोर्ड में लिस्टेड रखा-

पिछले महीने 12 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे टॉप ऑफ द बोर्ड में लिस्टेड किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर से इस केस की रोजाना सुनवाई करने की बात कही थी।


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