इंदौर मंडी सचिव को हटाया, अब जबलपुर की बारी !


विपणन बोर्ड ने भोपाल भेजा और किया भार मुक्त

इंदौर/जबलपुर। कृषि उपज मंडी में व्याप्त अनियमिताओं और भ्रष्टाचार के चलते  सोमवार को मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने इंदौर के मंडी सचिव नरेश परमार को अचानक हटा दिया है। इन्हें भोपाल स्थानांतरित कर तत्काल भार मुक्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे मंडी के निर्माण कार्याें में अनियमिताओं सहित की गई मनमानी सामने आ रही है। बताया गया है कि वर्ष 2020 से अब तक मंडी परिसर में हुए सभी नए निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप थे। जहां ₹50,000 की लागत का कार्य हुआ, वहां ₹2,00,000 तक के बिल बनाए गए। इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद करोड़ों रुपये के हेरफेर की आशंका के चलते कार्रवाई की गई है।


मंडी का किसान भवन किसानों के ठहरने के लिए बनाया गया था, लेकिन उपयोग में नहीं लिया गया। मंडी के लोगों का कहना है कि यह भवन अब खंडहर हो रहा है। जब भी कोई बड़ा अधिकारी निरीक्षण के लिए आता है, केवल दिखावे के लिए सफाई करवाई जाती है और टेबल-कुर्सियां रख दी जाती हैं। वहीं, भवन में बड़े व्यापारियों की प्याज़ रखवा कर निजी लाभ उठाने के आरोप भी लगे थे।

राजनीतिक पैठ का दबाव

कुछ व्यापारियों और किसानों ने यह भी आरोप लगाया था कि नरेश परमार राजनीतिक पैठ होने का दबाव बनाते हैं। यह कहते थे कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वाहनों से लेकर धनराशि तक के अवैध  बंटवारे की बातें भी चर्चा में थी। 

जबलपुर के भी हालात मिलते-जुलते

इंदौर मंडी के जैसे ही जबलपुर कृषि उपज मंडी के हालात बनते जा रहे हैं। इस जगह पर किए गए निर्माण कार्योें में मनमानी की गई है। आवंटन में भाई-भतीजावाद किया गया है। आवंटित दुकानों में नियमों को दरकिनार कर दिया है। दुकानों में शेड बढ़ा दिए गए। ठेका होने के बाद भी कचरा नहीं उठाया जा रहा है। वाहनों के प्रवेश पर वसूली की जा रही है।

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