
नई दिल्ली. आज 7 सितम्बर रविवार की रात आसमान में अद्भुत खगोलीय दृश्य देखने को मिलेगा। आमतौर पर सफेद या हल्का भूरा दिखने वाला चांद इस बार चंद्रग्रहण के कारण लालिमा ओढ़े गहरे लाल रंग में नजर आएगा। पृथ्वी की छाया में आने से चंद्रमा कई बार रंग बदलते हुए बेहद आकर्षक नजारा पेश करेगा।
दिल्ली में यह चंद्रग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होकर 2:25 बजे तक चलेगा। यानी 5 घंटे 27 मिनट तक लोग इस खगोलीय घटना के साक्षी बनेंगे। इसे देखने के लिए दिल्ली, नैनीताल समेत कई शहरों में विशेष तैयारियां की गई हैं।
कैसे बदलेगा चांद का रंग
ग्रहण के पहले चरण में चांद का उजाला धीरे-धीरे धुंधला होता जाएगा। रात 8:58 बजे से 9:57 बजे तक यह धुंधलापन बढ़ेगा। इसके बाद पृथ्वी की गहरी छाया चांद पर पडऩी शुरू होगी और रात 11 बजे तक चंद्रमा पूरी तरह ढक जाएगा। इसी दौरान उसका रंग पहले नारंगी और फिर गहरा लाल हो जाएगा। कुछ देर बाद वह फिर से नारंगी रंग लिए नजर आएगा। ग्रहण का अंतिम चरण रात 1:25 बजे पूरा होगा। इसके बाद उप-छाया चरण में चंद्रमा दोबारा हल्का धुंधला दिखेगा और सुबह 2:25 बजे तक यह धुंधलापन पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
ब्लड मून का कारण
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद सूर्योदय और सूर्यास्त जैसा नजर आता है। दरअसल, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं। इस दौरान सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, जहां नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रोशनी चंद्रमा तक पहुंचती है। इसी कारण चांद लालिमा ओढ़ लेता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है।
अगले साल पूर्ण चंद्रग्रहण
इस बार का चंद्रग्रहण वर्ष का अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 2 मार्च 2026 को दिखाई देगा। इसके बाद यह क्रम 31 दिसंबर 2028, 25 जून 2029 और 25 अप्रैल 2032 को जारी रहेगा।
श्राद्ध कर्म पर सूतक का प्रभाव नहीं
यह चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को लगेगा। इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी हो रही है। रविवार को पूर्णिमा का श्राद्ध और मातृकुल पितरों का तर्पण किया जाएगा। काशी के विद्वान पंडितों का कहना है कि पितृपक्ष के श्राद्ध कर्म पर चंद्रग्रहण के सूतक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।