शंकराचार्य के इंटरव्यू ने बढ़ाई बहस-
28 अगस्त 2025 को जगतगुरु शंकराचार्य ने एक इंटरव्यू में विवादित बयान दिए। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य की गवाही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में अमान्य की गई थी और उनकी गवाही से राम मंदिर से जुड़े किसी फैसले पर कोई असर नहीं पड़ा। शंकराचार्य ने इसे श्झूठ का प्रोपेगैंडा करार दिया। इसके अलावाए उन्होंने रामभद्राचार्य जी के शारीरिक दोषों का भी जिक्र किया और कहा कि शास्त्रों के अनुसार अंधे व्यक्ति को आचार्य जगतगुरु नहीं माना जा सकता। उनका आरोप है कि इस तरह सनातन धर्म में अफवाहें फैलाई गईं और जगतगुरु के प्रति अनादर फैलाया गया। शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने मित्र कहने के संदर्भ में भी टिपण्णी कीं।
परिवाद किसने दायर किया-
यह परिवाद जगतगुरु रामभद्राचार्य के शिष्य और बीएसएनएल के रिटायर्ड कर्मचारी नेता रामप्रकाश अवस्थी ने आज दायर किया है। परिवाद में आरोप लगाया गया है कि शंकराचार्य का यह बयान भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर FIR की मांग
परिवाद में भारतीय न्याय संहिता की धारा 256ए 399 और 302 सहित आईटी एक्ट की धारा 66। व 71 के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की गई है। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया और 12 नवम्बर को शंकराचार्य को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।