सीबीआई की टीम ने टीआई जुबेर खान से पूछताछ की। इसके बाद उरात लगभग 9 बजे टीआई का जिला अस्पताल में मेडिकल कराया गया और लेकर इंदौर रवाना हो गई। हालांकि जुबेर खान का नाम अब तक किसी भी रूप में देवा पारदी की कस्टोडियल डेथ के मामले में नहीं आया था। पीडि़त परिवार ने भी उनका नाम नहीं लिया था। सीबीआई ने किस आधार पर और किन आरोपों में उन्हें आरोपी बनाया है और हिरासत में लिया है, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सका है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को दी जांच-
देवा की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मई 2025 में कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर करते हुए 1 महीने में आरोपियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था। इसी आदेश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने एक महीने पहले एसआई देवराज सिंह परिहार को हिरासत में लिया।
90 दिन में चार्जशीट पेश करने के मिले थे आदेश-
सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि जिन दो पुलिस अफसरों की भूमिका संदिग्ध है, उन्हें सिर्फ लाइन अटैच क्यों किया गया, गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करें। कोर्ट ने कहा कि आरोपी पुलिस कर्मियों को एक माह में गिरफ्तार किया जाए और गिरफ्तारी के 90 दिन में चार्जशीट पेश की जाए। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को हैंडओवर कर दिया था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि 8 महीने बाद भी एक भी आरोपी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी न होना दिखाता है कि जांच निष्पक्ष नहीं हो रही। राज्य पुलिस अपने ही लोगों को बचा रही है। यह मामला उस कानूनी सिद्धांत को पूरी तरह लागू करता है, जिसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति अपने ही मामले में जज नहीं हो सकता। देवा की मौत के आरोप म्याना थाने की लोकल पुलिस पर है और वहीं अब तक जांच भी कर रही थी। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है।
देवा के चाचा ट्रक से कुचल दिए जाएंगे-
कोर्ट ने कहा था कि देवा के चाचा गंगाराम, जो इस केस के इकलौते चश्मदीद हैं फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इनकी जमानत की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस वक्त हिरासत में रहना ही उनकी सुरक्षा के लिए बेहतर है। बाहर आएंगे तो किसी दिन ट्रक से कुचल दिए जाएंगे और कहा जाएगा कि यह हादसा था।
ये था मामला-
मामला 15 जुलाई 2024 का है, बीलाखेड़ी के रहने वाले देवा पारदी उम्र 25 वर्ष की बारात उसी शाम गुना शहर के गोकुल सिंह चक्क के लिए निकलने वाली थी। शाम 4.30 बजे म्याना पुलिस गांव पहुंची और देवा व उसके चाचा गंगाराम को बारात में जाने वाले ट्रैक्टर से ही थाने ले जाया गया। पुलिस का कहना था कि एक चोरी के केस में पूछताछ और बरामदगी करनी है। अगली ही शाम परिजनों को जिला अस्पताल से सूचना मिली कि एक पारदी युवक की लाश पोस्टमार्टम रूम में है। वहां पहुंचने पर परिजनों को देवा की मौत की जानकारी मिली।
मौत की खबर के बाद बवाल मचा था-
मौत की सूचना पर पारदी समुदाय की महिलाओं ने जिला अस्पताल पहुंचकर विरोध जताया। देवा की चाची और होने वाली दुल्हन ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश की थी। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह उन्हें बचाया। महिलाओं ने आरोप लगाया कि म्याना थाने में देवा और गंगाराम की बुरी तरह पिटाई की गईए जिससे देवा की मौत हुई। इसके दो दिन बाद 17 जुलाई को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अपने कपड़े तक उतार दिए थे।
इन पर है देवा की मौत का आरोप-
सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार म्याना थाने के तत्कालीन टीआई संजीत मावई, उप निरीक्षक देवराज सिंह परिहार, एएसआई उत्तम सिंह सहित अन्य पुलिसकर्मियों पर कस्टोडियल डेथ और अत्याचार के आरोप हैं। सीबीआई ने 3 जुलाई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी की थी। टीम ने एसआई देवराज सिंह परिहार को गिरफ्तार किया था।