नई दिल्ली. रेलवे सुरक्षा आयुक्त (दक्षिण सर्कल) ए एम चौधरी ने महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्यों में संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों के लिए संविदा आधार पर स्टाफ की नियुक्ति और उन्हें इन क्षेत्रों में कौशल विकसित करने की अनुमति देना चिंताजनक है और इसकी प्राथमिकता के आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि निकट भविष्य में संविदा का उपयोग न्यूनतम किया जाए और दीर्घकाल में इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए।
मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस हादसा तोडफ़ोड़े का नतीजा
चौधरी ने यह टिप्पणी 2024 में मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस हादसे की जांच रिपोर्ट में की है। इसमें उन्होंने हादसे को तोडफ़ोड़ का नतीजा बताया गया था। 11 अक्टूबर, 2024 को मैसूरु-दरभंगा एक्सप्रेस (12578) तमिलनाडु के चेन्नई रेल डिवीजन के कवराईपेट्टई रेलवे स्टेशन पर रात लगभग 8.30 बजे एक खड़ी मालगड़ी से टकरा गई। इससे नौ यात्री घायल हो गए। सीआरएस की जांच से पता चला कि बदमाशों ने ट्रैक इंटरलॉकिंग सिस्टम के घटकों को जबरदस्ती हटा दिया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। चौधरी ने साफ कहा कि दुर्घटना किसी उपकरण की अचानक विफलता के कारण नहीं हुई, बल्कि बदमाशों द्वारा एलएच टंग रेल की स्थिति में जबरन बदलाव के कारण हुआ।
रेल मंत्रालय की रिपोर्ट
अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में रेल मंत्रालय ने कहा कि नीति के अनुसार, संविदा कर्मचारियों को रेलवे कर्मचारियों के साथ या उनकी देखरेख में गैर-महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है।