नई दिल्ली. बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 12 अगस्त को अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियां हैं, यहां तक कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र में 12 जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है। इस पर चुनाव आयोग ने गलतियों को स्वाभाविक बताया। अदालत ने आयोग को अगली सुनवाई में पूरे तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे. बागची की पीठ के समक्ष आरजेडी सांसद मनोज झा की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी कि मतदाता सूची से नाम हटाने में भारी गड़बडिय़ां हो रही हैं। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया। इसके जवाब में चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस तरह की विशाल प्रक्रिया में कहीं-कहीं कुछ त्रुटियां होना स्वाभाविक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इन गलतियों को सुधारा जा सकता है क्योंकि यह अभी केवल एक ड्राफ्ट सूची है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह तथ्यों और आंकड़ों के साथ पूरी तरह तैयार रहे। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रक्रिया शुरू होने से पहले और बाद के मतदाताओं की संख्या, मृतकों की संख्या और अन्य प्रासंगिक विवरणों पर सवाल पूछे जाएंगे। शीर्ष अदालत ने 29 जुलाई को ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण में बड़े पैमाने पर मतदाताओं को हटाया गया है तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगी।
गौरतलब है कि बिहार में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट एक अगस्त को प्रकाशित की गई थी और अंतिम सूची 30 सितंबर को आनी है। राजद, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और वाम दलों समेत कई विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से चुनाव आयोग के इस फैसले को चुनौती दी है। विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया करोड़ों पात्र नागरिकों को उनके वोट देने के अधिकार से वंचित कर देगी। वहीं, चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में इस प्रक्रिया को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि यह मतदाता सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है।