राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक में शामिल होने पहुंची महिला सांसद सुमित्रा बाल्मीक को पुलिस ने रोका, की धक्का-मुक्की

 

जबलपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक में शामिल होने जा रही राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि को पुलिस ने बाहर ही रोक दिया। जिसपर सुमित्रा बाल्मीक की पुलिस अधिकारियों से जमकर बहस हो गई। यहां तक कि कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए कि पुलिस ने सांसद के साथ धक्कामुक्की भी की। गुस्साए कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की तो सीनियर नेताओं ने दखल दिया। जिसके बाद सांसद को अंदर जाने दिया गया।

                               बताया जाता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आज जबलपुर आगमन हुआ। उनके आगमन पर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया। इसके बाद वे पार्टी नेताओं की बैठक में पहुंचे, जहां पर सभी नेताओं व जनप्रतिनिधियों का आगमन हो रहा था। इस दौरान राज्य सभा सांसद सुमित्रा बाल्मीक भी बैठक में शामिल होने पहुंचे तो गेट पर पुलिस अधिकारियों ने उन्हे रोक दिया। पुलिस अधिकारियों द्वारा रोके जाने पर सांसद आगबबूला हो गई। यहां तक कि उनकी पुलिस अधिकारियों से जमकर बहस हुई। शोर सुनकर पार्टी के नेता आ गए और उन्होने अंदर लेकर आए। इस बीच कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए आरोप लगाए कि सांसद सुमित्रा बाल्मीक के साथ धक्का मुक्की की गई है। घटना के बाद गहमागहमी का माहौल बना रहा। 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मंच पर नहीं मिला था स्थान- 

दो साल पहले 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जबलपुर में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम हुआ था। मंच पर राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि को जगह नहीं मिली थी। उन्हें पीछे बैठाया गया था। इससे वे नाराज हो गई थीं। उन्होंने इसके लिए जबलपुर कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए। सांसद के अपमान पर उनके समर्थकों ने कलेक्टर का पुतला जलाकर विरोध दर्ज कराया था। 

सागर में भी सांसद के साथ की गई थी अभद्रता- 

राज्यसभा सदस्य सुमित्रा वाल्मीकि को 2022 में नगर निगम चुनाव में प्रचार के लिए भाजपा ने सागर बुलाया था। भाजपा का सुमित्रा वाल्मीकि को बुलाने का मकसद दलित वर्ग के मतदाताओं को रिझाना था। इसके लिए उन्हें शासकीय सत्कार के साथ सर्किट हाउस के कक्ष क्रमांक 3 में रुकवाया गया था। भाजपा प्रत्याशी के प्रचार से वापस लौटने पर उनकी अनुमति के बिना उनका सामान दूसरे कमरे में फेंक दिया गया। जिसके बाद वह कमरा प्रदेश सरकार के एक बड़े ब्राह्मण मंत्री को दे दिया गया। इससे वे भड़क गईं और जमकर पूरे स्टाफ को लताड़ा और चली गयीं।


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