आरआरबी गोरखपुर के पूर्व चेयरमैन के घर पर सीबीआई का छापा, 2 अन्य कर्मचारियों के यहां भी जांच

 
गोरखपुर। रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर कार्यालय के पूर्व चेयरमैन व वेस्टर्न रेलवे के पूर्व चीफ इलेक्ट्रिक इंजीनियर (सीईई) के पादरीबाजार स्थित घर पर गुरुवार 7 अगस्त को लखनऊ से पहुंची सीबीआई की टीम ने छापेमारी की। पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा की शिकायत के संबंध में जांच-पड़ताल करने पहुंची सीबीआई टीम कार्मिक और इंजीनियरिंग विभाग के दो कर्मचारियों के यहां भी पहुंची।

देर शाम तक छानबीन करने के बाद टीम ने संबंधित अभिलेखों और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया है। देर रात तक टीम गोरखपुर में ही जमी रही। संभावना जताई जा रही है कि शुक्रवार को भी टीम गहन छानबीन कर सकती है। रेलवे के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। रेलवे के दफ्तरों में सीबीआई और नियुक्ति में फर्जीवाड़ा की ही चर्चा होती रही।

लखनऊ की सात सदस्यीय सीबीआई टीम ने एक दिन में चार आरोपितों के यहां छापेमारी की है। तीन रेलकर्मी और एक बाहरी व्यक्ति बताया जा रहा है। रेलवे बोर्ड विजिलेंस की शिकायत पर बीआइआई टीम ने नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा के मामले में रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर कार्यालय के पूर्व चेयरमैन पीके राय, इंजीनियरिंग विभाग में तकनीशियन विनय कुमार श्रीवास्तव, कार्मिक विभाग में कार्मिक सहायक वरुण राज और बाहरी व्यक्ति सुजीत कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सर्च वारंट लेकर गोरखपुर पहुंची है।

यह है मामला

जानकारों का कहना है कि रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर कार्यालय के पूर्व चेयरमैन को रेलवे बोर्ड ने पहले ही भर्ती में फर्जीवाड़ा करने की संलिप्तता की पुष्टि होने के आरोप में 56 जे के तहत कार्रवाई सुनिश्चित कर सेवा से मुक्त कर दिया है। नवंबर 2022 में गोरखपुर से हटाने के साथ रेलवे बोर्ड ने उन्हें निलंबित कर दिया था। फिर साइड लाइन कर दूसरे जोन में तैनाती दे दी थी। जबकि, विजिलेंस जांच चल रही थी। आरोप है कि वह स्वयं और कर्मचारियों के सहयोग से वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को भी पैनल में शामिल कर देते थे। बदले में लाखों रुपये वसूलते थे। यही नहीं पैनल में शामिल चयनित अभ्यर्थियों पर भी दबाव बनाकर वसूली करते थे। तकनीशियन व लोकोपायलट की भर्ती में ही लखनऊ व वाराणसी मंडल में रिक्त पदों के सापेक्ष डेढ़ गुना अधिक भर्ती का विज्ञापन निकालकर परीक्षा आरंभ करा दी थी। 1681 अभ्यर्थियों की परीक्षा के बाद भर्ती आरंभ हुई तो फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ।

रेलवे बोर्ड की विजिलेंस ने भी की थी छापामारी

फर्जीवाड़ा का मामला प्रकाश में आने के बाद दिल्ली विजिलेंस की छापेमारी में भारी अनियमितताएं मिलीं। रेलवे बोर्ड ने तत्कालीन तत्कालीन चेयरमैन सहित रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय के सभी कर्मचारियों को हटाने का निर्देश जारी कर दिया था। लेकिन विजिलेंस जांच चलती रही। इसी क्रम में 12 और 13 जून 2025 को भी रेलवे बोर्ड दिल्ली की विजिलेंस टीम रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर पहुंची थी। टीम अपने साथ संबंधित अभिलेख दिल्ली ले गई थी। दिल्ली पहुंचने के बाद रेलवे बोर्ड की विजिलेंस ने प्रकरण की जांच के लिए सीबीआइ से सिाफारिश की थी। यद्यपि, चेयरमैन पीके राय के हटाए जाने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी नुरुद्दीन अंसारी को बोर्ड अध्यक्ष बना दिया गया। व्यवस्था बदलने के बाद भी फर्जीवाड़ा चलता रहा।

इन लोगों को दी थी  बिना फार्म भरे नौकरी

रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर में तैनात दो रेलकर्मियों ने 26 अप्रैल, 2024 को जारी पैनल में फर्जी ढंग से अपने बेटों का नाम शामिल कर दिया था। सात अभ्यर्थियों के पैनल में बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए, बिना मेडिकल टेस्ट और बिना अभिलेखों की जांच कराए ही अपने बेटों को शामिल कर नौ कर दिया। कार्यालय अधीक्षक चंद्र शेखर आर्य के बेटे राहुल प्रताप और निजी सचिव (द्वितीय) राम सजीवन के बेटे सौरभ कुमार बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए और मेडिकल टेस्ट के ही माडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली में फिटर बन गए थे। रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी भी निलंबित किए जा चुके हैं। पूर्व मुख्य कार्यालय अधीक्षक चंद्र शेखर आर्या और राम सजीवन के खिलाफ कैंट थाने में गैंग्स्टर के आरोपित हैं। इनके मामले भी जांच चल रही है।

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