पटना। सुप्रीम कोर्ट ने आज बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के रिवीजन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र मानें। अब अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन पर कोर्ट में करीब 3 घंटे सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वोटर लिस्ट रिवीजन नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। वोटर की नागरिकता जांची जा रही है। ये कानून के खिलाफ है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन में नागरिकता के मुद्दे में क्यों पड़ रहे हैं। यदि आप वोटर लिस्ट में किसी शख्स का नाम सिर्फ देश की नागरिकता साबित होने के आधार पर शामिल करेंगे तो फिर ये बड़ी कसौटी होगी। यह गृह मंत्रालय का काम है। आप उसमें मत जाइए। एसआईआर के खिलाफ राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया व जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील गोपाल शंकर नारायण, कपिल सिब्बल व अभिषेक मनु सिंघवी दलील दे रहे हैं। चुनाव आयोग की पैरवी पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह कर रहे हैं। कोर्ट में जिरह के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा अब जबकि चुनाव कुछ ही महीनों दूर हैं। चुनाव आयोग कह रहा है कि वह पूरी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण 30 दिनों में करेगा। कोर्ट ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया में कोई बुराई नहीं है, लेकिन यह आगामी चुनाव से कई महीने पहले ही कर ली जानी चाहिए थी। भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच करना आवश्यक है, जो संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत आता है। चुनाव आयोग जो कर रहा है वह संविधान के तहत अनिवार्य ह। इस तरह की पिछली प्रक्रिया 2003 में की गई थी।
28 जुलाई को अगली सुनवाई -
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि किसी भी वोटर को वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रहेगी-
बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि रिवीजन की प्रक्रिया में आधार कार्ड, वोटर आईडी व राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए। अभी ये दस्तावेज चुनाव आयोग स्वीकार नहीं कर रहा था।
कोर्ट ने कहा, समस्या प्रकिया में नहीं, टाइमिंग में है
सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कहा कि समस्या आपकी प्रक्रिया में नहीं है। समस्या आपके टाइमिंग की है। क्योंकि जिन लोगों को सूची से हटाया जा सकता है, उनके पास इसके अपील करने का समय नहीं होगा।
चुनाव आयोग बोला, बिना सुनवाई किसी का नाम नहीं कटेगा-
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सुनवाई का मौका दिए बिना किसी को भी मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।