ओबीसी महासभा व ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि मध्यप्रदेश में ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जिसमें एमपी लोक सेवा आयोग के सिलेक्टेड कैंडिडेट्स द्वारा एक एप्लिकेशन लगाकर ये मांग की गई थी कि 13 प्रतिशत होल्ड पदों को जल्द अनहोल्ड किया जाए। एक नोटिफिकेशन द्वारा मप्र सरकार ने 22 सितंबर 2022 को जारी किया था। उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये नोटिफिकेशन कानून के खिलाफ क्यों जारी किया गया था। ओबीसी महासभा के वकील ठाकुर ने बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर ये माना गया कि ये नोटिफिकेशन गलत तरीके से जारी हुआ है। हम इसको अन होल्ड करने के समर्थन में है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने आपको रोका कब है, इसका क्रियान्वयन करने से किसने रोका है। इस पूरे मामले पर विस्तृत सुनवाई हुई और अब अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
क्रियान्वयन आदेश पर लगा स्टे हटाने सरकार की ओर से की गई मांग-
एमपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में आज शिवम गौतम केस की सुनवाई हुई है। मप्र में 2019 में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल पारित हुआ था। उसके बाद जब 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के क्रियान्वयन आदेश जारी हुए तो 4 मई 2022 में शिवम गौतम नाम के एक अभ्यर्थी ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के क्रियान्वयन आदेश पर स्टे दे दिया था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। अब सरकार ने क्रियान्वयन आदेश पर लगाए गए स्टे को विकेट करने के लिए आवेदन दिया। सरकार के इस आवेदन पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया है। अब अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई होगी