पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व में नामचीन हथिनी वत्सला का आज निधन हो गया। वत्सला की उम्र 100 साल की वत्सला दादी के नाम से मशहूर रही। वह लम्बे समय से बीमार चल रही थी।
दादी के नाम से मशहूर वत्सला हाथियों के कुनबे में एक खास स्थान रखती थी। वह न केवल अन्य हथिनियों के बच्चों की देखभाल करती थी, बल्कि नए बच्चों के जन्म के समय एक कुशल दाई की भूमिका भी निभाती थी। हथिनी की मौत की सूचना मिलते ही पीटीआर की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की, डिप्टी डायरेक्टर मोहित सूद व वन्यप्राणी डॉक्टर संजीव गुप्ता अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। हिनौता कैम्प में हथिनी का अंतिम संस्कार किया गया। वत्सला को दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी माना जाता था। हालांकि जन्म का रिकॉर्ड उपलब्ध न होने की वजह से इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका। पीटीआर प्रबंधन ने उसकी सटीक उम्र जानने के लिए दांतों के सैंपल भी लैब में भेजे थे, लेकिन वहां भी कोई निश्चित परिणाम नहीं मिल सका। वर्तमान में ताइवान की हथिनी लिंगवान के नाम दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी का रिकॉर्ड दर्ज है। वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर वन में हुआ था। 1971 में उसे मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) लाया गया था। 1993 में उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया थाए जहां वह 10 साल तक बाघों की ट्रैकिंग में मदद करती रही। 2003 में उसे रिटायर कर दिया गयाए लेकिन तब से वह अन्य हाथियों के बच्चों की देखभाल कर रही है। वत्सला को उसके शांत स्वभाव और बच्चों की देखभाल करने की प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रही। उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी.दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेह पूर्वक देखभाल भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा, वत्सला जंगलों की मूक संरक्षक थी-
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ग् पर लिखा कि वत्सला का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिजर्व में आज दोपहर वत्सला ने अंतिम सांस ली। वह मात्र हथिनी नहीं थी हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढिय़ों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थी।