चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि इस संबंध में 11 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों के अधिकारियों को संयुक्त बैठक कर ठोस निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि बैठक के लिए पत्र भेजा गया थाए लेकिन एयरलाइंस कंपनियों के अधिकारी उसमें शामिल नहीं हुए। यह भी बताया गया कि सरकार ने एयरपोर्ट पर कुछ सर्विस चार्ज कम कर दिए हैं। कोर्ट ने दोबारा बैठक आयोजित कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से पूर्व में कोर्ट को अवगत कराया गया था कि फरवरी 2025 में एक योजना बनाई गई हैए जिसके तहत एयरलाइंस कंपनियों को रियायती दरों पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। कोर्ट ने इस नीति के लिए सरकार की पहल की सराहना करते हुए उस पर शीघ्र अमल करने के निर्देश दिए थे।
1 साल पहले लगी थी जनहित याचिका-
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से 2024 में एक जनहित याचिका दायर की गई थीए जिसमें जबलपुर से हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद विमान कंपनियों ने अपने उत्तर में कहा था कि अधिक टैक्स लिए जाने के कारण वे उड़ानों का संचालन करने में असमर्थ हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में तर्क दिया कि जबलपुर में अन्य शहरों की तुलना में उड़ानों की संख्या काफी कम है। हाल ही में भोपाल के लिए उड़ान भी बंद कर दी गई है। पूर्व में जबलपुर से मुंबईए पुणेए कोलकाताए बेंगलुरु जैसे शहरों के लिए उड़ानें संचालित होती थीं और जबलपुर की कनेक्टिविटी प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों इंदौरए ग्वालियर और भोपाल के बराबर थी। उड़ानों के लगातार बंद होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहले जबलपुर से औसतन 15 उड़ानें प्रतिदिन संचालित होती थींए जबकि वर्तमान में इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है।