सीबीआई ने रेलवे के Dy. CE, Sr. DEN (CO) समेत पांच को किया गिरफ्तार, घूसखोरी रैकेट का बड़ा खुलासा

लखनऊ. उत्तर रेलवे के गति शक्ति प्रोजेक्ट में घूसखोरी के रैकेट का खुलासा करते हुए सीबीआई ने 3 रेलकर्मियों समेत 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर किया है। उनके पास से 3.30 लाख रुपये नकद और बैंक खाते में ली गई रिश्वत की रकम के पुख्ता सुबूत मिले हैं। सभी आरोपियों को मंगलवार 15 जुलाई को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। वहीं सीबीआई उत्तर रेलवे में असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (AXEN) केके मिश्रा को तलाश रही है, जो छापे के दौरान फरार हो गया था

बता दें कि सीबीआई ने सोमवार को हजरतगंज स्थित डीआरएम कार्यालय पर छापा मारने के बाद गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक रंजन, कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा के साथ टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी जिमी सिंह और कंपनी संचालक प्रवीण सिंह (वाराणसी से) को गिरफ्तार किया था। इससे पहले सीबीआई ने घूसखोरी के इस रैकेट का मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें वाराणसी में तैनात छह रेलकर्मी भी नामजद किए थे। इसके बाद सीबीआई ने राजधानी स्थित डीआरएम कार्यालय में छापा मारकर विवेक कुशवाहा के पास से घूस के 2.50 लाख रुपये नकद और अशोक रंजन व अंजुम निशा के पास से 80 हजार रुपये नकद बरामद किए थे। यह रकम उन्हें जिमी सिंह ने दी थी।

घूस देकर मनमाने बिलों का भुगतान कराता था प्रवीण

दरअसल, सीबीआई को सूचना मिली थी कि लखनऊ में उत्तर रेलवे और वाराणसी में पूर्वोत्तर रेलवे के 6 रेलकर्मी गति शक्ति प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यों के बिल के भुगतान के लिए ठेकेदारों से घूस लेते हैं। दिल्ली की टैंजेंट इंफ्राटेक कंपनी के प्रवीण कुमार सिंह और सिकंदर अली को प्रोजेक्ट के तहत भदोही में कार्य मिला था, जिसके कई बिलों का भुगतान डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा ने घूस लेकर किया है। कई अन्य रेलकर्मी भी उससे लगातार घूस लेते हैं। प्रवीण ने अपने कर्मचारी जिमी सिंह के जरिये 21 जून और 26 जून को वाराणसी में राकेश रंजन को 2 लाख रुपये घूस की रकम व्हाट्सएप पर संपर्क कर एक क्लब में सौंपी थी। 
इसी तरह 28 अप्रैल को अभिषेक गुप्ता ने प्रवीण से 50 हजार रुपये घूस बैंक खाते में ली थी, जो प्रवीण के अकाउंटेंट केशव चौधरी ने जमा की थी। कार्यालय सहायक मनीष भी घूस लेकर बिलों का भुगतान कराता था। प्रवीण की कंपनी का 3 करोड़ रुपये का बिल मंजूरी के लिए एक महिला अधिकारी के पास भेजा गया था, जिसे घूस में हिस्सा देने का वादा किया गया था। मनीष ने 3 जुलाई को प्रवीण को बताया कि डीआरएम ने बिल में वेरिएशन की स्वीकृति दे दी है। इसी तरह लेखा विभाग के कर्मी योगेश गुप्ता, सीनियर क्लर्क सुशील कुमार राय भी कंपनी से नियमित रूप से घूस ले रहे थे। यह जानकारी भी मिली कि 13 जुलाई को प्रवीण ने जिमी से कहा था कि वह सोमवार को लखनऊ जाकर विवेक कुशवाहा को 7 लाख रुपये घूस की रकम सौंप दे।

इनके खिलाफ दर्ज किया था मुकदमा

राजधानी में तैनात गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा के साथ वाराणसी में तैनात सीनियर डिवीजनल इंजीनियर (कोऑर्डिनेशन) राकेश रंजन, डीआरएम कार्यालय पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी के कार्यालय अधीक्षक मनीष, सीनियर सेक्शन इंजीनियर अभिषेक गुप्ता, लेखा विभाग के कर्मी योगेश गुप्ता, सीनियर क्लर्क सुशील कुमार राय, टैंलेंज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रवीन कुमार सिंह, जिमी सिंह और टैंलेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड।

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