ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों का मामला, मुख्य सचिव व नर्मदा घाटी प्राधिकरण आठ सप्ताह में मुआवजे को लेकर निर्णय ले
जबलपुर। हाईकोर्ट ने ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों को समुचित मुआवजा नहीं दिये जाने को लेकर एसीएस डॉ राजेश राजौरा को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। हाइकोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की तरफ से ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों को समुचित मुआवजा नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
जस्टिस डीडी बसंल ने पूर्व में पारित आदेश का परिपालन नहीं किये जाने को गंभीरता से लिया है। एकलपीठ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजौरा को अवमानना नोटिस जारी करते हुए इस संबंध में लिखित में जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की तरफ से दायर की गई अवमानना याचिका में कहा गया था कि सात जून 2023 को मध्य प्रदेश सरकार ने ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित किसानों व उनके परिवारों के लिए विशेष पुनर्वास पैकेज घोषित किया था। इसके अंतर्गत जिन किसानों के पास भूमि नहीं है, उन्हें व उनके बच्चों को ढ़ाई लाख रुपये मुआवजा देने की व्यवस्था दी गई थी। जिसका पालन नहीं किये जाने के खिलाफ आंदोलन भी हुए थे। इसके बावजूद प्रभावितों को समुचित मुआवजा नहीं दिया गया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जुलाई 2024 को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मुख्य सचिव व नर्मदा घाटी प्राधिकरण आठ सप्ताह में मुआवजे को लेकर निर्णय ले। याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया कि आदेश के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जिसके बाद एकलपीठ ने ये आदेश जारी किए।