हर 10 साल में होता है Pay Commission का गठन
केंद्र सरकार आमतौर पर हर 10 साल के अंतराल पर नया वेतन आयोग बनाती है। इसमें रक्षा, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के वेतन ढांचे की समीक्षा की जाती है। यह समीक्षा महंगाई दर, जीवन-स्तर, आर्थिक हालात जैसे कई कारकों के आधार पर होती है। नया वेतन आयोग न सिर्फ सैलरी बढ़ाने की सिफारिश करता है, बल्कि महंगाई भत्ते (DA) और पेंशन में भी बदलाव करता है।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगा इजाफा
वेतन आयोग की सिफारिशों में सबसे अहम होता है फिटमेंट फैक्टर, जिससे नई सैलरी तय की जाती है। एम्बिट कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार 1.83 से 2.46 के बीच फिटमेंट फैक्टर लगाया जा सकता है। इसका मतलब है कि अगर किसी कर्मचारी की मौजूदा सैलरी 50,000 रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.46 लागू होता है, तो उसकी सैलरी बढ़कर 1.23 लाख रुपये हो जाएगी। वहीं, अगर 1.83 फिटमेंट फैक्टर लगा तो सैलरी बढ़कर 91,500 रुपये हो जाएगी। न्यूनतम सैलरी की बात करें तो यह 32,940 रुपये से बढ़कर 44,280 रुपये हो सकती है।
अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा फायदा
सिर्फ कर्मचारी ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक रफ्तार को भी इससे फायदा होगा। जब लोगों की आय बढ़ेगी तो वे ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी। इसका असर ग्रामीण और शहरी दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा। रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर गुड्स जैसी इंडस्ट्री को भी इससे मजबूती मिलेगी। हालांकि, वेतन बढ़ने से सरकार पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का बोझ भी बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और सरकार को टैक्स कलेक्शन के रूप में फायदा भी होगा।