दिल्ली पुलिस ने शुरू में भारतीय नागरिकों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए थे। जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम व विदेशी अधिनियम शामिल थे। पुलिसकर्मियों ने 195 विदेशी नागरिकों के नाम भी दर्ज किए थे। ज़्यादातर विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ न तो आरोपपत्र दाखिल किया गया और न ही निचली अदालत ने दोहरे खतरे के सिद्धांत के आधार पर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार किया। इन व्यक्तियों ने 2021 में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि निषेधाज्ञा केवल धार्मिक सभाओं और समारोहों पर रोक लगाती है। इनमें केवल उपस्थित लोगों को आश्रय प्रदान किया गया है। उन्होंने आगे दावा किया था कि एफआईआर अनुचित, मनगढ़ंत व कानूनन असमर्थनीय हैं। उन्हें अनुचित व निराधार आरोपों का सामना करने के लिए मजबूर किया गया है जो उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। दिल्ली पुलिस ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपियों ने न केवल दिल्ली सरकार द्वारा जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया है, बल्कि बीमारी के प्रसार में भी योगदान दिया है।