जबलपुर/कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में एक लोको पायलट को सात माहे के भीतर 9-9 चार्जशीट थमाए जाने और उत्पीडऩ का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले ने तूल पकड़ लिया है, क्योंकि लोको पायलट ने इसकी शिकायत सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय, रेलवे बोर्ड, पश्चिम-मध्य रेलवे महाप्रबंधक सहित विभिन्न उच्च अधिकारियों और एसटी-एससी तथा मानवाधिकार आयोग से की है।
पीएमओ तक शिकायत के बाद पमरे मुख्यालय में हड़कम्प मच गया और एक टीम कोटा जांच करने पहुंची है. जानकारी के अनुसार, जबलपुर मुख्यालय की एक टीम बुधवार 23 जुलाई को कोटा पहुंची और लोको पायलट के साथ-साथ गार्ड-ड्राइवर लॉबी सुपरवाइजर संतोष शर्मा और केपी सिंह के बयान दर्ज किए। लोको निरीक्षक तेजपाल मीणा से भी पूछताछ की खबर है। लोको पायलट को तुरंत प्रभाव से सागर से बिना ड्यूटी किए कोटा बुलाया गया था ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें।
आज और कल भी पूछताछ
सूत्रों के मुताबिक, मामले को लेकर गुरुवार को भी पूछताछ किये जाने की खबर है. यह पूछताछ दिल्ली एसटी-एससी आयोग द्वारा की जाएगी। इसके अतिरिक्त, गुरुवार को एक अन्य एजेंसी भी इस मामले की जांच कर सकती है। एक ही गलती की अलग-अलग सजा का आरोप इस मामले में वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (टीआरओ) विभाग पर एक ही गलती के लिए लोको पायलटों को अलग-अलग सजा देने का भी आरोप लगा है।
लोको पायलटों को सजा देने के उदाहरण
अलनिया में लाल सिग्नल पार करने के एक मामले में एक लोको पायलट को वॉलंटरी रिटायरमेंट (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) दे दिया गया। इसी तरह के एक अन्य मामले में एक लोको पायलट के तीन साल के इंक्रीमेंट बंद कर दिए गए और उन्हें नीचे बॉटम पे-ग्रेड पर ला दिया गया।
- सवाई माधोपुर में लाल सिग्नल पार करने वाले एक लोको पायलट को डीआरएम कार्यालय में कार्यालय अधीक्षक बना दिया गया। ऐसे ही तीसरे मामले में शामगढ़ में एक लोको पायलट को चीफ टेक्नीशियन (एमसीएफ) बना दिया गया।
- शराब के मामलों में भी विसंगतियां शराब पीकर ड्यूटी पर पहुंचने वाले लोको पायलटों को सजा देने के मामलों में भी गड़बड़ी सामने आई है। एक लोको पायलट को 4200 ग्रेड से 2400 पे-ग्रेड पर कर दिया गया और उनके तीन साल के इंक्रीमेंट बंद कर दिए गए, जबकि इसी तरह के एक अन्य मामले में दूसरे लोको पायलट की 4200 पे-ग्रेड बरकरार रखी गई।
9 मामले आए सामने तत्कालीन अधिकारी पर उठे सवाल
एक ही गलती पर अलग-अलग सजा के ऐसे करीब नौ मामले सामने आए हैं। ये सभी मामले पिछले एक से दो साल के बीच के हैं, जब कोटा मंडल में वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (टीआरओ) पद पर गौरव श्रीवास्तव तैनात थे। गौरव श्रीवास्तव का हाल ही में कोटा से ट्रांसफर हुआ है।
अधिकारियों से भी पूछताछ की संभावना
सूत्रों ने बताया कि यदि जरूरत पड़ी तो इस मामले में संबंधित अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है। चूंकि ये सभी चार्जशीट अधिकारियों द्वारा ही जारी की गई हैं, इसलिए यह संभव नहीं है कि उन्हें मामले की जानकारी न हो। सूत्रों ने एक ही गलती पर अलग-अलग सजा के मामलों में मिलीभगत की आशंका जताई है और कहा है कि निष्पक्ष जांच से ही इस पूरे मामले का खुलासा संभव है।