भोपाल/जबलपुर. मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर और कटनी में सहारा जमीन घोटाले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडबलू) ने जांच के बाद शुक्रवार 25 जुलाई की शाम को एफआईआर दर्ज कर ली है। सहारा ग्रुप ने इन शहरों में लगभग 1 हजार करोड़ की जमीन को मात्र 98 करोड़ में बेच दिया.
आरोप के मुताबिक तीन शहरों में सहारा की 1000 करोड़ रुपए की जमीन को मात्र 98 करोड़ रुपए में बेच दिया गया था। जमीन बेचने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया। ग्रुप ने प्रॉपर्टी बिक्री की राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में भी जमा नहीं कराई और करोड़ों रुपए की हेराफेरी की।
ईओडबलू के मुताबिक सहारा की ओर से जमीनों को बेचकर कुल 72.82 करोड़ रुपए का गबन किया है। जबलपुर और कटनी की भूमि बिक्री के निर्णयों में कॉर्पोरेट कंट्रोल मैनेजमेंट प्रमुख (सीसीएम) सीमांतो रॉय सीधे तौर पर शामिल पाए गए। डीएमडब्ल्यू भोपाल के डीजीएम जेबी रॉय की भूमि सौदे के वित्तीय लेन-देन और निर्णयों में सक्रिय भूमिका थी। सागर भूमि सौदे के निर्णयों में सहारा के लैंड डिवीजन के प्रमुख होने के नाते डिप्टी मैनेजिंग वर्कर ओपी श्रीवास्तव शामिल पाए गए।
निवेशकों को पैसा नहीं लौटाया
सहारा की जमीन को बेचने के बाद भी सहारा में निवेश करने वालों को पैसा नहीं मिला था। ईओडबलू ने इन कंपनियों द्वारा सहारा ग्रुप की जमीन खरीदने की पीई दर्ज कर इसी साल फरवरी महीने में जांच शुरू की थी। मामले में ईओडबलू ने क्रेता पक्ष और विक्रेता पक्ष के 9 लोगों से पूछताछ के बाद एफआईआर दर्ज की है।
शैल कंपनियों में जमा कराए रुपए
ईओडब्ल्यू के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार भोपाल स्थित जमीन बेचकर सेबी-सहारा रिफंड खाते में रुपए जमा कराने के नियम का भी उल्लंघन किया गया है। सहारा ग्रुप ने ये रुपए सहारा इंडिया रियल एस्टेट लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन और निजी शैल कम्पनियों के खातों में जमा कराए।