बेंगलुरु। कर्नाटक में मंत्रिमंडल ने अपनी आवास योजनाओं के तहत मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। यह कदम राज्य भर में शहरी व ग्रामीण विकास विभागों द्वारा क्रियान्वित सभी आवास योजनाओं पर लागू होगा।
आवास मंत्री ज़मीर अहमद खान ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षण को मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। डीके शिवकुमार ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि बेशक हमें जनसंख्या के हिसाब से चलना होगा। शहरी आबादी बहुत बड़ी है और इसमें कई अल्पसंख्यक और गरीब लोग शामिल हैं। शहरी इलाकों में बहुत सारे अल्पसंख्यक मौजूद हैं। आवास खाली पड़े हैं और हम इसे दूसरों को आवंटित नहीं कर सकते। इसलिए उन्होंने 10-15 प्रतिशत का अनुरोध किया। उन्होंने मांड्या जैसे शहरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जहां आवास योजनाओं के तहत बनाए गए पूरे टावर अभी भी खाली हैं। मांड्या की कोशिश करेंए बाईं ओरए 7-9 टावर हैं जहां कोई भी रहने के लिए नहीं गया है। कम से कम अल्पसंख्यक उन इमारतों पर कब्जा करने के लिए तैयार हैं। बेंगलुरु में भी कई घर खाली पड़े हैं। हम उन्हें किसे देंघ् यह एक बड़ी समस्या है। हमने घर बनाए हैं, लेकिन कोई भी उनमें रहने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक लंबे समय से इस वृद्धि का अनुरोध कर रहे हैं। पिछले 7 वर्षों में उन्होंने इसका प्रस्ताव रखा और हम सहमत हुए। इस निर्णय का समर्थन करते हुए मंत्री एमसी सुधाकर ने कहा कि केंद्र पहले से ही अल्पसंख्यकों के लिए 15 प्रतिशत आवंटन प्रदान करता है। कर्नाटक भी उसी के अनुरूप काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह अल्पसंख्यकों के लिए घरों का आवंटन है। केंद्र सरकार के पास 15 प्रतिशत है और हमने इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। यह कदम अनुबंध आवंटन में मुसलमानों के लिए कोटा लाभ बढ़ाने के सरकार के प्रस्ताव के बाद उठाया गया है। जो समुदाय-विशिष्ट कल्याण पहलों को बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास का सुझाव देता है।