नई दिल्ली. कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा 5 साल के लंबे इंतज़ार के बाद फिर से शुरू हो गई है. इस बार यह यात्रा सिक्किम में मौजूद नाथू ला दर्रे के रास्ते से हो रही है. आज सुबह ही 36 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था नाथू ला बॉर्डर को पार करके चीन के तिब्बत क्षेत्र में दाखिल हो गया.
इस पहले जत्थे में 21 से 70 साल की उम्र के श्रद्धालु शामिल हैं, जिनमें 23 पुरुष और 13 महिलाएं हैं. उनकी सुरक्षा और सहायता के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ढ्ढञ्जक्चक्क) के दो जवान भी उनके साथ गए हैं. सिक्किम के गवर्नर ओम प्रकाश माथुर ने नाथू ला में हरी झंडी दिखाकर इस यात्रा को रवाना किया. इस मौके पर राज्य के कई मंत्री और नेता भी मौजूद थे.
11 दिनों का सफऱ
ये सभी तीर्थयात्री चीन के तिब्बत क्षेत्र में 11 दिन बिताएंगे, जहाँ वे पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शन करेंगे. जब ये यात्री चीन की सीमा पर पहुँचे, तो वहाँ के अधिकारियों और सेना के जवानों ने उनका स्वागत किया. यात्रा शुरू करने से पहले इन यात्रियों को मौसम के अनुकूल ढालने के लिए कुछ दिन सिक्किम में ही ठहराया गया. उन्होंने दो दिन 18 माइल पर बने नए सेंटर में और दो दिन शेराथांग में बिताए. शुक्रवार को उनकी सेहत और सभी ज़रूरी कागज़ात की जाँच की गई, जिसके बाद उन्हें आगे जाने की इजाज़त मिली.
सिक्किम के लिए गर्व का पल
सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) के सीईओ राजेंद्र छेत्री ने इस पर खुशी जताते हुए कहा, यह सिक्किम और पूरे देश के लिए गर्व का पल है. हमारे राज्य से इस यात्रा का आयोजन होना न सिर्फ सम्मान की बात है, बल्कि यह हमें अपनी मेहमाननवाज़ी दिखाने का भी मौका देता है. उन्होंने आगे कहा, विदेश मंत्रालय ने हम पर जो भरोसा जताया है, वह बहुत बड़ी बात है. हम यात्रियों से लगातार बात कर रहे हैं और उनकी सुविधाओं का पूरा ध्यान रख रहे हैं. कुल मिलाकर, यह हमारे लिए भी एक बहुत संतोषजनक अनुभव रहा है.