यूपी का नरभक्षी जो हत्या के बाद खोपड़ी का सूप पीता था, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

लखनऊ. लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने खूंखार सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को आज शुक्रवार 23 मई को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। इस मामले में उसके साथी वक्षराज कोल को भी उम्रकैद की सज़ा मिली है। दोनों को साल 2000 में हुए एक दोहरे हत्याकांड में दोषी पाया गया है।

राजा कोलंदर पर 20 से ज़्यादा हत्या के मामले दर्ज किए गए थे, हालांकि ज़्यादातर मामलों में वह सबूतों के अभाव में बरी हो चुका है। जब राजा कोलंदर को गिरफ्तार किया गया था, तब प्रयागराज स्थित उसके पिगरी फार्म हाउस से बड़ी संख्या में नरकंकाल और नरमुंड बरामद हुए थे। कोलंदर पर आरोप था कि वह एक तांत्रिक था और खोपड़ी का सूप बनाकर पीता था। ऐसा कहा जाता है कि वह लोगों का कत्ल करता था, फिर उनके शरीर के कई टुकड़े कर अलग-अलग फेंक देता था, लेकिन लाश के सिर को अपने साथ ले जाता था। इसके बाद वह दिमाग़ निकालकर सूप बनाकर पीता था।

इससे पहले, जज रोहित सिंह की अदालत ने सोमवार को राजा कोलंदर और वक्षराज कोल को नाका इलाके में 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और हत्या में शामिल होने का दोषी पाया था। कोर्ट ने आज शुक्रवार को इन दोनों को सजा सुनाई।

सरकारी वकील एम.के. सिंह के अनुसार, अदालत ने राजा कलंदर और उसके सहयोगी को आईपीसी की धारा 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), 396 (हत्या के साथ डकैती), 201 (साक्ष्य गायब करना), 412 (डकैती से प्राप्त संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) और 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति का दुरुपयोग) के तहत दोषी ठहराया था।

राजा कलंदर का बचपन का नाम राम निरंजन कोल था। वह अपने जघन्य अपराधों और कथित नरभक्षण के लिए कुख्यात था। वह एक समय उत्तर प्रदेश में एक आयुध कारखाने में कार्यरत था। वह खुद को एक राजा मानता था जो किसी को भी दंडित कर सकता था जिसे वह नापसंद करता था। कलंदर को पत्रकार धीरेंद्र सिंह सहित कई हत्याओं का दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने उसके फार्महाउस से मानव खोपड़ी बरामद की थी, जिससे नरभक्षण के भयावह आरोप सामने आए थे। मनोचिकित्सकों ने उसे मनोरोगी बताया था, हालांकि अदालतों ने उसे मुकदमे का सामना करने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ घोषित किया था।

2012 में राजा कलंदर और उसके साले वक्षराज को नवंबर 2012 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की निर्मम हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। पीडि़त को बहला-फुसलाकर ले जाया गया, गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और शव को विकृत कर दफना दिया गया था।

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