नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, प्रशासन पर उठे सवाल

 



नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात हुए दर्दनाक हादसे में बड़ा खुलासा हुआ है। इस भगदड़ में 18 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हुए थे। हादसे के पीछे महाकुंभ में स्नान के लिए प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ को जिम्मेदार माना जा रहा है। अब इस घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसने मौतों की असली वजह को उजागर कर दिया है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या सामने आया?

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हादसे में मारे गए 18 लोगों में से 15 की मौत दम घुटने (ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया) के कारण हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, अत्यधिक दबाव पड़ने से पीड़ितों के फेफड़े संकुचित हो गए, जिससे उनकी सांस रुक गई और मौत हो गई। वहीं, दो यात्रियों की मौत हेमोरेजिक शॉक के कारण हुई, जो सीने पर अत्यधिक दबाव और आंतरिक रक्तस्राव के चलते हुआ। एक अन्य व्यक्ति की मृत्यु सिर पर भारी दबाव पड़ने से हुई।

प्रशासन पर उठे सवाल, लापरवाही के आरोप

इस हादसे में जान गंवाने वालों में 9 यात्री बिहार, 8 दिल्ली और 1 हरियाणा का निवासी था। घटना के बाद रेलवे प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। यात्रियों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रेलवे की लापरवाही के कारण यह त्रासदी हुई।

मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:

  • अचानक प्लेटफॉर्म बदलने का फैसला: आखिरी समय में प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदल दिया गया, जिससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई।
  • जनरल टिकटों की ओवरसेलिंग: प्रति घंटे 1,500 जनरल टिकट बेचे गए, जो कि स्टेशन की क्षमता से कहीं अधिक था।
  • सुरक्षा प्रबंधन में चूक: स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ को देखते हुए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती नहीं की गई थी।

रेलवे प्रशासन ने किए बड़े बदलाव

इस त्रासदी के बाद रेलवे प्रशासन हरकत में आ गया है। अब स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्लेटफॉर्म शेड्यूलिंग को सुव्यवस्थित किया गया है, साथ ही टिकट बिक्री पर भी सख्त निगरानी रखी जा रही है।

यह हादसा रेलवे प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक साबित हुआ है। अब सवाल यह है कि क्या इन बदलावों से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकेगा? या फिर लापरवाही का यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा?

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