मध्य प्रदेश का यह प्रमुख नक्सल प्रभावित जिला जिसकी पहचान 1990 के दशक से नक्सली हिंसा और सक्रियता के लिए रही है। अब आधिकारिक रूप से नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। यह उपलब्धि केंद्रीय गृह मंत्रालय की मार्च 2026 की तय समय सीमा से पहले हासिल हुई है। पुलिस अधिकारियों की माने तो नक्सलियों ने पुनर्वास से पुनर्जीवन तक सरकार की नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है। इससे जिला लगभग नक्सली मुक्त हो गया है। जिले में अब सिर्फ एक नक्सली दीपक सक्रिय है। सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि वह भी जल्द सरेंडर कर देगा। आत्मसमर्पण करने वालों में MMC जोन प्रभारी रामधेर मज्जी भी शामिल रहे, जिन्होंने एक AK-47 राइफल सौंपकर समर्पण किया। उनकी गार्ड और हार्डकोर नक्सली मानी जाने वाली सुनीता ओयाम कुछ वक्त पहले ही बालाघाट पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर चुकी थी। इस दौरान कुल 12 हथियार सौंपे गए। जिसमें दो AK-47, दो इंसास, एक SLR व दो .303 राइफलें शामिल हैं।
इन नक्सलियों ने किया है आत्म-समर्पण-
सरेंडर करने वाले अन्य प्रमुख नक्सलियों में चंदू उसेंडी (DVM), ललिता (DVM), जानकी (DVM), प्रेम (DVM) , रामसिंह दादा (ACM), सुकेश पोट्टम (ACM), लक्ष्मी (PM), शीला (PM), सागर(PM), कविता(PM) व योगिता (PM) शामिल हैं। इन नक्सलियों ने पुनर्वास योजना के तहत सरेंडर किया है। उन्हें राज्य सरकार की मौजूदा पुनर्वास नीति के तहत आर्थिक सहायताए कौशल विकास प्रशिक्षण और सामाजिक पुनर्स्थापन का आश्वासन दिया गया है।