कलेक्टर के आदेशों की उड़ी धज्जियां, भू-माफिया के आगे सिस्टम नतमस्तक
जबलपुर। जिले में भू-माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब उन्हें न तो कानून का डर है और न ही जिला प्रशासन के आदेशों का खौफ। कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने पदभार संभालते ही जिस सख्त अभियान का बिगुल फूंका था, वह महज एक दिन की सुर्खियां बनकर रह गया। आज स्थिति यह है कि अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई की फाइलें सरकारी दफ्तरों की धूल फांक रही हैं और राजस्व विभाग से लेकर पंजीयक कार्यालय तक के अधिकारी कलेक्टर के निर्देशों को धता बता रहे हैं।
भ्रष्टाचार की रजिस्ट्री और ठगी जा रही जनता
शहर में टीएनसीपी और रेरा के नियमों को ताक पर रखकर लगभग 90 कॉलोनियों का अवैध जाल फैला हुआ है। विडंबना देखिए, एक तरफ प्रशासन कहता है कि ये कॉलोनियां अवैध हैं, लेकिन दूसरी तरफ पंजीयक कार्यालय में इनकी रजिस्ट्री धड़ल्ले से जारी है। यह सेटिंग का ऐसा खेल है जिसमें भू-माफिया तो मालामाल हो रहे हैं, लेकिन आम आदमी अपनी जिंदगी भर की कमाई गंवाकर सड़क पर आ गया है। जब कोई मध्यमवर्गीय परिवार अपने आशियाने के लिए नामांतरण कराने तहसील पहुंचता है, तब उसे अवैध होने का ठप्पा दिखाकर दरवाजे से बाहर कर दिया जाता है।
अधिकारियों की चुप्पी और रसूखदारों का संरक्षण
राजस्व विभाग और नगर निगम के कॉलोनी सेल को बखूबी पता है कि शहर के किस कोने में अवैध प्लॉटिंग की जा रही है, फिर भी उनकी चुप्पी कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या यह चुप्पी किसी बड़े फायदे के बदले खरीदी गई है। रसूखदार नेताओं और भू-माफियाओं के गठजोड़ ने जबलपुर के विकास को बंधक बना लिया है। अगर समय रहते प्रशासन ने कागजी घोड़ों की जगह जमीनी कार्रवाई नहीं की, तो वह दिन दूर नहीं जब हजारों नागरिक कानूनी पेचीदगियों और बैंकों के कर्ज तले दबकर अपना सब कुछ खो देंगे।
