
भोपाल. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को राज्य के कर्मचारियों के बीच स्थाई और अस्थाई पदों के बीच का अंतर खत्म हो गया है. राज्य सरकार ने कर्मचारियों के बीच अलग-अलग 10 पद नामों को घटाकर सिर्फ 5 पदनाम कर दिए हैं. कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल लाइन के लिए 90 करोड रुपए के अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया गया है.
कैबिनेट में हुए निर्णय की जानकारी देते हुए उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है. वित्त विभाग के प्रस्ताव पर प्रदेश के कर्मचारियों के पदों से संबंधित नियम दिशा-निर्देश जारी करने स्थाई और अस्थाई पदों का अंतर समाप्त करने के संबंध में चर्चा की गई. बैठक में फैसला लिया गया कि राज्य शासन में कार्यरत कर्मचारी के पदों से संबंधित अस्थाई और स्थाई पद का अंतर समाप्त किया गया है, अभी कर्मचारियों में नियमित संविदा आउटसोर्स अंशकालीन जैसे अलग-अलग 10 प्रकार के कर्मचारियों के पदो का वर्गीकरण होते हैं.
अब कर्मचारियों की 5 श्रेणियां
कर्मचारियों के वर्गीकरण के कारण कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद प्रोवेशन पीरियड के दौरान कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ती हैं. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने कर्मचारियों की 10 श्रेणियां के स्थान पर अलग-अलग 5 श्रेणियां का प्रावधान किया है. इससे कर्मचारी वर्ग को काफी राहत मिलेगी. उप मुख्यमंत्री ने बताया अब नियमित, संविदा, आउटसोर्स, अंशकालीन जैसे पद ही रहेंगे. इसके अलावा कहीं और श्रेणियां थीं, जिसकी आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थी. सभी विभागों की सहमति के बाद आज इस पर निर्णय लिया गया है.
मेट्रो रेल परियोजना के लिए 90 करोड़ मंजूर
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. इसमें भोपाल एवं इंदौर मेट्रो रेल परियोजना के संचालन और रखरखाव के लिए राजस्व मद में इस वर्ष के लिए 90.67 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया है. एमओयू के मुताबिक आमदनी और व्यय में जो अंतर होता है, उसको राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है. सुजुकी अभी मेट्रो रेल की शुरुआत है. आने वाले दिनों में राज्य पर कम भार आए, इसके लिए मेट्रो रेल परियोजना अपनी आमदनी बढ़ायेगी. मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को 2026 27 से लेकर 2032 तक निरंतर चलाई जाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसको कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी. इस योजना से निवेशकों को काफी फायदा मिल रहा है. योजना के अंतर्गत 905.25 करोड़ के व्यय के लिए कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी.
वन विज्ञान केंद्र की स्थापना को मंजूरी
वन विभाग के प्रस्ताव पर वन विज्ञान केंद्र की स्थापना के संबंध में नई योजना को भी मंजूरी दे दी गई. उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया जिस तरह कृषि विज्ञान केंद्र होते हैं, उसी तरह वन विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. यह सरकार का नवाचार है. 2025-26 से लेकर 2029-30 तक मध्य प्रदेश में 6 वन विज्ञान केंद्रों की स्थापना की जाएगी. इसके लिए 48 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है. वन विज्ञान केंद्र की स्थापना वन क्षेत्र के बाहर वानिकी विस्तार गतिविधियों को बढ़ाने भूमि की उत्पादकता बढ़ाने रिसर्च और एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ाने के लिए यहां काम किए जाएंगे.