मानव संसाधन से जूझ रही बिजली कंपनी, उर्जा मंत्री को अभियंता संघ ने लिखा पत्र


जबलपुर।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वर्तमान परिस्थितियों में मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी अपने स्वीकृत मानव संसाधन के मात्र 30-35 प्रतिशत कार्मिकों के साथ पूरे राज्य की अति उच्च दाब पारेषण व्यवस्था का संचालन कर रही है। हाल ही में 220 केवी सबस्टेशन सतना में हुई दुर्घटना भी मानव.संसाधन अभाव, उपकेंद्र पर अप्रशिक्षित लाइन स्टाफ की नियुक्ति तथा अत्यधिक कार्यभार से उत्पन्न दबाव का प्रत्यक्ष परिणाम है। पारेषण कंपनी में एक ही अधिकारी को दो-तीन सबस्टेशनों, कार्यालयों का अतिरिक्त प्रभार देकर जवाबदेही तय करना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि विद्युत सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत जोखिमपूर्ण भी है। ऐसी स्थिति में किसी भी अप्रिय घटना के उपरांत संबंधित अधिकारी पर एफआईआर सहित व्यक्तिगत कार्यवाही का भार डाल दिया जाता है। 

अभियंता संघ के महासचिव विकास शुक्ला ने बताया है कि अति उच्च दाब विद्युत तंत्र का संचालन कंपनी के अत्यंत सीमित मैनपावर एवं अकुशल बाह्यश्रोत व्यवस्था पर निर्भर हो गया है। इसके परिणामस्वरूप विगत वर्षों में विद्युत दुर्घटनाओं, ट्रांसफार्मर फेलियर, टावर ध्वस्त होने और आपूर्ति बाधित होने जैसी घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वर्तमान संसाधन व मानवबल इस विशाल पारेषण तंत्र को सुरक्षित ढंग से संचालित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अतः बाह्यश्रोत आधारित नीति पर पुनर्विचार करना समय की आवश्यकता है। मैदानी एवं कार्यालय स्तर पर कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी अत्यधिक कार्यभार एवं संसाधनों के अभाव में दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, जिससे उनके मनोबल, दक्षता तथा मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में यदि कोई तकनीकी अथवा अवांछित घटना घटित होती हैए तो उसकी जवाबदेही सीधे मैदानी कार्मिकों पर डाल दी जाती है। जबकि पर्याप्त मानवबल, उपकरण एवं सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराना प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यह दोषारोपण पूर्णतः अनुचित है।


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