विद्युत नियामक आयोग ने किया एमपी ट्रांसको के जीआईएस सब-स्टेशन का निरीक्षण

 


उन्नत तकनीक और सुरक्षा मानकों की विस्तृत समीक्षा, संचालन व्यवस्था की तारीफ

जबलपुर। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की टीम ने गत दिवस मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) के 132 केवी जीआईएस सबस्टेशन फूलबाग, ग्वालियर का निरीक्षण किया। आयोग की टीम में चेयरमेन गोपाल श्रीवास्तव, सचिव डॉ. उमाकांत पांडेय और सदस्य गजेंद्र तिवारी शामिल थे। टीम ने सब-स्टेशन में स्थापित अत्याधुनिक गैस इंसुलेटेड स्विचगियर तकनीक, लोड प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और संचालन प्रणाली का विस्तृत अध्ययन किया।
निरीक्षण के दौरान ट्रांसको के अधिकारियों व इंजीनियरों ने बताया कि जीआईएस तकनीक कम स्थान में अधिक क्षमता उपलब्ध कराती है और शहरी क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। टीम ने नेटवर्क की विश्वसनीयता बढ़ाने और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार के लिए अपनाई जा रही नवीन कार्यप्रणालियों की जानकारी भी ली।

कनीकी कार्यप्रणाली और प्रबंधन की विस्तृत समीक्षा

निरीक्षण के दौरान नियामक आयोग ने सबस्टेशन की त्वरित संचालन क्षमता, स्वचालित नियंत्रण प्रणाली और सुरक्षा मानकों की गहराई से जांच की। अधिकारियों ने बताया कि जीआईएस सबस्टेशन में पारंपरिक सबस्टेशन के मुकाबले फॉल्ट होने की संभावना बेहद कम होती है। आयोग ने लोड प्रबंधन प्रणाली, रीयल-टाइम मॉनिटरिंग, हाई-प्रिसीजन प्रोटेक्शन उपकरणों और आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने के लिए किए जा रहे तकनीकी सुधारों की भी समीक्षा की। टीम ने एमपी ट्रांसको के इंजीनियरों से उपभोक्ता केंद्रित सेवाओं को और मजबूत करने के सुझाव भी साझा किए।

अत्याधुनिक तकनीक की सराहना, गुणवत्ता सुधार को महत्वपूर्ण बताया

निरीक्षण के बाद आयोग की टीम ने एमपी ट्रांसको की आधुनिक तकनीक अपनाने की पहल की सराहना की। चेयरमेन गोपाल श्रीवास्तव ने कहा कि जीआईएस तकनीक शहरी इलाकों में कम जगह में उच्च क्षमता और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने में बेहद प्रभावी है। यह तकनीक न केवल फॉल्ट को कम करती है, बल्कि बिजली वितरण की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार लाती है। आयोग ने इस तरह की उन्नत तकनीक के विस्तार को प्रदेश की बिजली व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक बताया और ट्रांसको टीम के प्रयासों की प्रशंसा की। निरीक्षण के दौरान प्रदेश में बिजली आपूर्ति को अधिक सुरक्षित, स्थिर और उपभोक्तामुखी बनाने के लिए भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

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