जबलपुर। जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग के भीतर एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन1 के तहत बच्चों के कल्याण के लिए संचालित 'मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना' में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन जिला प्रबंधक सुभाष कुमार शुक्ला पर अब प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। यह मामला वर्ष 2018-19 का है, जिसकी शिकायत सत्येंद्र कुमार यादव द्वारा की गई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद हुई विस्तृत जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
- नियमों की अनदेखी: कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी (बधिर बच्चों के इलाज) के लिए किए गए भुगतानों में सरकारी मानकों को पूरी तरह ताक पर रख दिया गया।
- बिना ऑडिट भुगतान: जिला प्रबंधक ने बिना ऑडिट वेरिफिकेशन टीम की मंजूरी और जरूरी दस्तावेजों के परीक्षण के बिना ही लाखों रुपयों का भुगतान कर दिया।
- प्रमाणित गड़बड़ी: जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि कुल 8,96,000 रुपये का भुगतान अवैध रूप से किया गया था।
अपील खारिज, अब चुकानी होगी कीमत
दोषी सिद्ध होने के बाद, मिशन कार्यालय भोपाल ने सुभाष शुक्ला को 21 दिनों के भीतर पूरी राशि जमा करने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि, शुक्ला ने विभागीय नियमों का हवाला देते हुए इस आदेश के खिलाफ अपील की थी। 10 नवंबर 2025 को हुई अंतिम सुनवाई में मिशन संचालक और वरिष्ठ अधिकारियों की बेंच ने स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार के साक्ष्य पुख्ता हैं। विभाग ने शुक्ला की दलीलों को खारिज करते हुए 8.96 लाख रुपये की वसूली के पुराने आदेश को यथावत रखा है। यह कार्रवाई विभाग के अन्य अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि जनकल्याणकारी योजनाओं के धन का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
