जबलपुर ईओडब्ल्यू की मण्डला के सहकारी बैंक में पकड़ा बड़ा घोटाला
जबलपुर। सरकारी फाइलों में शब्दों का हेरफेर कर लाखों का गबन करने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जबलपुर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने मंडला जिला सहकारी बैंक में हुई 65 लाख रुपए की धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है। बैंक के अफसरों ने लोन रिजेक्ट होने के बाद कागजों में ऐसी 'कारीगरी' की कि जांच दल भी हैरान रह गया। मामले में बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
दस्तावेजों में हेरफेर और पद का दुरुपयोग
ईओडब्ल्यू को लंबे समय से शिकायत मिल रही थी कि मंडला की 'अल्प बचत साख सहकारी समिति' में निवेशकों का पैसा लौटाने में आनाकानी की जा रही है और नियमों को ताक पर रखकर लोन बांटे जा रहे हैं। एसपी अनिल विश्वकर्मा के निर्देश पर जब जांच शुरू हुई, तो भ्रष्टाचार की परतें खुलती चली गईं।जांच में पता चला कि 8 नवंबर 2011 को बैंक की ऋण उप समिति ने समिति के 38 लाख रुपए के पुराने कर्ज को देखते हुए नया लोन आवेदन 'अस्वीकृत' कर दिया था। लेकिन भ्रष्टाचार के इरादे से तत्कालीन महाप्रबंधक नरेंद्र कोरी ने अन्य कर्मियों के साथ मिलकर फाइल में दर्ज 'अस्वीकृत' शब्द से 'अ' को हटाकर उसे 'स्वीकृत' बना दिया। जालसाजी यहीं नहीं रुकी; उन्होंने 38 लाख की मूल राशि को भी काटकर 65 लाख रुपए कर दिया और महज 4 दिन के भीतर अपने हस्ताक्षर से लोन जारी कर दिया।
इन चार अधिकारियों ने मिलकर रची साजिश
ईओडब्ल्यू की जांच के अनुसार, लोन की यह पूरी राशि बैंक के अधिकारियों और समिति प्रबंधक ने आपस में बंदरबांट कर ली। जांच में यह भी पाया गया कि शशि चौधरी ने समिति के नियमों के विरुद्ध जाकर गैर-सदस्यों से भी करीब 26.68 लाख रुपए की अवैध वसूली की थी। EOW ने सभी आरोपियों के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 के तहत मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।इस मामले में पुलिस ने कूट रचित दस्तावेज तैयार करने और बैंक को वित्तीय क्षति पहुँचाने के आरोप में चार आरोपियों को नामजद किया है-
- नरेंद्र कोरी: तत्कालीन महाप्रबंधक, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मंडला।
- एनएल यादव: तत्कालीन स्थापना प्रभारी, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मंडला।
- अतुल दुबे: तत्कालीन लेखापाल व पंजी फील्ड कक्ष प्रभारी।
- शशि चौधरी: प्रबंधक, अल्प बचत साख सहकारी समिति, मंडला।
