बताया गया है कि देर रात यह काफिला कंटनी मंदिर के पास रुका। इस शिवलिंग को तमिलनाडु के महाबलीपुरम से बिहार के चंपारण ले जाया जा रहा है। 210 टन वजनी इस शिवलिंग को देखने के लिए हाईवे पर लोगों का तांता लगा रहा। इस महाकाय शिवलिंग के परिवहन के लिए करीब 100 चक्का वाले विशेष ट्रक का उपयोग किया जा रहा है। शिवलिंग का वजन इतना ज्यादा है कि ट्रक महज 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है। यह यात्रा 21 नवंबर को महाबलीपुरम से शुरू हुई थी। एक महीने में महाबलीपुरम से 1593 किमी की दूरी तय कर काफिला सागर पहुंचा है। बिहार पहुंचने में अभी करीब 20 दिन और लगेंगे। दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग बनाने में कारीगरों को 10 साल का समय लगा है और इस पर करीब 3 करोड़ रुपए का खर्चा आया है। इसके निर्माण के लिए सबसे पहले 250 मैट्रिक टन वजन का ग्रेनाइट का बड़ा पत्थर चुना गया। कारीगरों ने ग्राइंडर और ब्लेड की मदद से पत्थर को आकार दिया और छोटे औजारों से आकृतियां उकेरीं। लगातार घिसाई करके शिवलिंग को चिकना और चमकदार बनाया गया। अब इसका वजन 210 टन है। चालक दल के आलोक सिंह ने बताया कि शिवलिंग की ऊंचाई और गोलाई दोनों 33-33 फीट है। इसे ले जाना सौभाग्य की बात है, लेकिन यह चुनौती भरा काम है। 2 लाख 10 हजार किलो वजन होने के कारण रास्ते में पडऩे वाले पुल-पुलिया पर डर बना रहता है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु से सुरक्षित सागर आ गए हैं, आगे भी भोलेनाथ ही मंदिर तक पहुंचाएंगे।
विराट रामायण मंदिर में फरवरी में होगी स्थापना
इस शिवलिंग को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के जानकीनगर में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर में स्थापित किया जाएगा। यह मंदिर 3 मंजिल का होगा और इसके मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट रहेगी। मंदिर में चार आश्रम होंगे। यह मंदिर आचार्य किशोर कुणाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है। शिवलिंग की स्थापना फरवरी माह में प्रस्तावित है।